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Rarest of the Rare Case Jabalpur: जबलपुर की विद्या बाई ने पांच साल जेल में सिर्फ इसलिए गुज़ार दिए क्योंकि उसके पास जमानत बांड और जुर्माने की रकम नहीं थी. हाईकोर्ट ने इसे दुर्लभतम मामला मानते हुए निजी मुचलके पर …और पढ़ें
आर्थिक तंगी बन गई ‘स्वतंत्रता’ की दीवार
विद्या बाई पिछले 5 सालों से जेल में बंद थी, न इसलिए कि उसने अपराध किया था, बल्कि इसलिए कि वो गरीब थी. किसी तरह उसने कोर्ट में निजी मुचलके पर रिहाई की अपील की. इस अपील में उसने अपनी असमर्थता जताते हुए कहा कि उसे जेल से बाहर निकलने के लिए सिर्फ आर्थिक सहायता की ज़रूरत है.
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए.के. सिंह की युगलपीठ ने इस मामले को ‘दुर्लभतम में से दुर्लभतम’ करार देते हुए महिला को ₹10,000 के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी बताया कि एक संस्था ने उसकी ओर से जुर्माने की राशि अदा कर दी है.
न्याय होते हुए भी अन्याय का शिकार हुई महिला
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्वीकार किया कि भले ही सजा निलंबित कर दी गई थी, लेकिन महिला की स्वतंत्रता पर बड़ा संकट बना रहा. यह मामला हमारे न्यायिक सिस्टम की उस कमी को उजागर करता है, जहां आर्थिक असमानता इंसाफ की राह में दीवार बन जाती है.