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Agriculture News: कृषि वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह ने लोकल 18 को बताया कि येलो मोजेक के लक्षण शुरुआत में ही दिखने लगते हैं. सबसे पहले पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे निकलते हैं, इसके बाद पत्तियों का रंग पूरी तरह पीला…और पढ़ें
पीले मोजेक को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह लोकल 18 को बताते हैं कि यह रोग एक किस्म का वायरस होता है, जो सफेद मक्खी जैसे कीट द्वारा फैलता है. यह कीट फसल की पत्तियों का रस चूसता है और उसी दौरान वायरस पत्तियों में चला जाता है. ज्यादा बरसात होने से यह मक्खी ज्यादा सक्रिय हो जाती है और बीमारी तेजी से फैलने लगती है. अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है.
नियंत्रण के लिए दवाइयों का छिड़काव
डॉ राजीव सिंह आगे बताते हैं कि अगर रोग ज्यादा फैल चुका है, तो दवाइयों का उपयोग करना जरूरी है. इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL की 0.3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा थायोमेथॉक्साम 25 WG की 0.25 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में डालकर भी छिड़काव किया जा सकता है. दोनों दवाइयों का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना ज्यादा असरदार होता है. एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार छिड़काव करने से नियंत्रण हो सकता है.