हर दिन लापता हो रहीं 38 महिलाएं
मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2024 से 20 जून 2025 तक मध्यप्रदेश में 21,175 महिलाएं ऐसी थीं जो एक महीने से अधिक समय तक लापता रहीं. इस हिसाब से हर दिन औसतन 38 महिलाएं गायब हो रही हैं. यह आंकड़ा न केवल भयावह है, बल्कि यह प्रदेश में गुमशुदगी की रिपोर्टिंग और महिलाओं की ट्रेसिंग प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है.
इसी अवधि में प्रदेश में 10,840 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए. यानी हर दिन लगभग 20 महिलाएं या नाबालिग लड़कियां बलात्कार का शिकार हो रही हैं. यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि प्रदेश में महिला अपराधों की दर न केवल चिंताजनक है, बल्कि लगातार बढ़ रही है.
33% की बढ़ोतरी, क्या यह ‘न्यू एमपी’ का सच है?
मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि बीते एक साल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ये आंकड़े 2014 की तुलना में भी अधिक खराब हैं, जहां औसतन रोज़ाना 28 महिलाएं लापता और 15 बलात्कार केस दर्ज होते थे. इसका मतलब ये है कि पिछले 10 वर्षों में महिला अपराध की स्थिति और बिगड़ी है.
कांग्रेस विधायक बाला बच्चन, जो खुद राज्य के पूर्व गृहमंत्री रह चुके हैं, ने इन आंकड़ों को लेकर सरकार पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा “सरकार केवल कागजों पर महिला सुरक्षा के दावे कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत बेहद खतरनाक है.”
कब होगा ठोस एक्शन?
ये आंकड़े न सिर्फ डरावने हैं बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी हैं. अगर हर दिन 20 महिलाएं रेप और 38 लापता हो रही हैं, तो यह महज अपराध नहीं, बल्कि राज्य की प्रशासनिक विफलता है. ज़रूरत है नारेबाज़ी नहीं, नीतियों के ज़मीन पर उतरने की.