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Rakshabandhan Kyu Manate Hain: हर साल बहनें अपनी बाई की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना के लिए भाईयों की कलाई में राखी बांधती हैं. लेकिन इसकी शुरूआत कैसे हुई थी आइए जानते हैं इसके बारे में…
द्रौपदी और श्री कृष्ण की कथा
महाभारत के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था.उस समय भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली कट गई थी. उसमें से लगातार खून बह रहा था. तभी द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान श्री कृष्ण की अंगुली पर पट्टी बांधा था. श्री कृष्ण ने कहा था कि मैं इस बात को हमेशा याद रखूंगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. जैसा कि आप सब जानते हैं कि जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था. श्रीकृष्ण ने ही उनकी लाज बचाकर सबसे उनकी रक्षा की थी.
मां लक्ष्मी ने बलि को कैसे बनाया भाई
भगवान विष्णु के भक्त राजा बलि बड़े दानी राजा थे. एक बार वे भगवान को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ कर रहे थे. अपने भक्त की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने एक ब्राह्मण का वेष धरा और यज्ञ पर पहुंचकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी. राजा ने ब्राह्मण की मांग स्वीकार कर ली. ब्राह्मण ने पहले पग में पूरी भूमि और दूसरे पग ने पूरा आकाश नाप दिया. राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं. इसलिए उन्होंने फौरन ब्राह्मण की तीसरा पग अपने सिर पर रख लिया.
राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा
स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है कि, भगवान अब तो मेरा सबकुछ चला गया है. अब आप मेरी विनती स्वीकार करें. मेरे साथ पाताल में चलकर रहें. भगवान को राजा की बात माननी पड़ी. उधर मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के वापिस न लौटने से चिंतित हो उठीं. उन्होंने एक गरीब महिला का वेष बनाया और राजा बलि के पास पहुंचकर उन्हें राखी बांध दी. राखी के बदले राजा ने कुछ भी मांग लेने को कहा. मां लक्ष्मी फौरन अपने असली रूप में आ गईं और राजा से अपने पति भगवान विष्णु को वापिस लौटाने की मांग रख दी. राखी का मान रखते हुए राजा ने भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी के साथ वापस भेज दिया.