मध्यप्रदेश में अति भारी बारिश का दौर तो थम गया, लेकिन हालात अब भी बिगड़े हुए हैं। बुधवार को गुना, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना समेत कई जिलों में सैकड़ों लोगों को रेस्क्यू किया। कई रास्ते बंद रहे तो नर्मदा समेत अन्य नदियां उफान पर रही। इससे रास्ते भी बंद हो
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बुधवार को भारी बारिश का दौर थमा रहा। इससे पहले जबलपुर में ही सबसे ज्यादा 1 इंच पानी गिरा। वहीं, भोपाल, बैतूल, गुना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, इंदौर, पचमढ़ी, रायसेन, श्योपुर, उज्जैन, दमोह, मंडला, नरसिंहपुर, नौगांव, सागर, सिवनी, उमरिया, बालाघाट, शिवपुरी समेत 25 से अधिक जिलों में हल्की बारिश का दौर रहा।
बाढ़ प्रभावित इलाके में जेसीबी से पहुंचे कलेक्टर पिछले तीन दिन से जारी भारी बारिश से प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ आ गई। बुधवार को श्योपुर के बड़ौदा में कलेक्टर और जनप्रतिनिधि जेसीबी से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे।
यहां माधोपुर से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-552 पर रणथंभोर नेशनल पार्क क्षेत्र में पुलिया टूट गई। जिससे रास्ता पूरी तरह बंद हो गया। श्योपुर से जयपुर, दिल्ली, टोंक, दोसा की ओर से जाने वाला ट्रैफिक प्रभावित रहा।
श्योपुर में सीप नदी उफान पर रही। यहां मानपुर में सरकारी अस्पताल में पानी भर जाने के कारण 12 मरीज फंस गए। एसडीईआरएफ की टीम ने सभी को निकालकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया।
गुना में 24 घंटे में 12.92 इंच बारिश हो गई। यहां कलोरा बांध की वेस्ट बीयर 15 फीट तक टूट गई थी। इससे आसपास के गांवों के जल मग्न होने का खतरा बना हुआ है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर NDRF और सेना को बुलाया गया।
नर्मदापुरम में सोहागपुर के ग्राम सांकला में नर्मदा किनारे बसे गांव के 7 मकानों में पानी भर गया। परिवारों ने सामान ट्रॉलियों में रखवा दिया। भोपाल, नर्मदापुरम और अशोकनगर में लगातार बारिश के चलते स्कूलों की छुट्टी घोषित की गई।
शिवपुरी में कोलारस के पचावली गांव में बस में सवार होकर स्कूल से घर लौट रहे 30 बच्चे बाढ़ में फंस गए। जिसके बाद सभी को पचावली सरपंच के घर रुकवाया गया। कोलारस के संगेश्वर गांव में लोग छत पर टेंट लगाकर रह रहे हैं।
मुरैना में चंबल नदी उफान पर है। मुरैना, सबलगढ़, अंबाह तहसील सहित जिलेभर में 500 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
नरसिंहपुर जिले के गांव गंगई में बरांझ नदी के बैक वाटर के कारण 7 ग्रामीण फंस गए। सूचना मिलते ही एसडीईआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और सभी लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
तस्वीरों में देखें एमपी की बारिश…

जयपुर-दिल्ली जाने वाले नेशनल हाईवे-552 पर पुलिया टूट गई।

कई इलाकों में बाढ़ आ गई। कोलारस में एक स्कूल परिसर में पानी भर गया।

नदी किनारे घाट पर मंदिर आधे डूब गए।
सिस्टम कमजोर होते थमेगा बारिश का दौर सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि बुधवार को प्रदेश के बीचोंबीच में एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन और ट्रफ की एक्टिविटी देखने को मिली। इस वजह से बारिश हुई। हालांकि, इसके बाद सिस्टम कमजोर होगा और भारी बारिश का दौर थमेगा।
अगले 2 दिन ऐसा रहेगा मौसम


एमपी के 8 जिलों में बारिश का कोटा पूरा मध्यप्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, मुरैना, श्योपुर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी में बारिश का कोटा पूरा हो गया है। यहां सामान्य से 37% तक ज्यादा पानी गिर चुका है।
टीकमगढ़-निवाड़ी में सबसे ज्यादा 42 इंच बारिश हुई है, जबकि इंदौर में 10 इंच पानी भी नहीं गिरा है। उज्जैन की तस्वीर भी ठीक नहीं है। वहीं, भोपाल और जबलपुर में सीजन की आधी बारिश हुई है।
प्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 27.7 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 17.2 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 10.5 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है।
एमपी में अब तक इतनी बारिश



भोपाल में बारिश का 10 साल का ट्रेंड भोपाल में जुलाई में खूब बारिश होती है। यहां एक ही महीने में 1031.4 मिमी यानी 41 इंच के करीब बारिश होने का रिकॉर्ड है। यह साल 1986 में हुई थी। 22 जुलाई 1973 को एक ही दिन में 11 इंच बारिश हुई थी, जो अब तक का रिकॉर्ड है। साल 2024 में पूरे जुलाई महीने में 15.70 इंच बारिश हुई थी।
भोपाल में जुलाई महीने में एवरेज 15 दिन बारिश होती है यानी हर दूसरे दिन पानी बरसता है। महीने की एवरेज बारिश 367.7 मिमी यानी 14.4 इंच है। बारिश के चलते दिन का तापमान 30 और रात में पारा 25 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है।

इंदौर में इस बार 40% ज्यादा बारिश इंदौर की बात करें तो 24 घंटे में 11.5 इंच बारिश होने का रिकॉर्ड है, जो 27 जुलाई 1913 को हुई थी। वर्ष 1973 में पूरे महीने 30.5 इंच पानी गिरा था। बारिश के चलते यहां भी तापमान में गिरावट देखने को मिलती है।
इंदौर में महीने की एवरेज बारिश 12 इंच है। एवरेज 13 दिन यहां बारिश होती है। पिछले साल इंदौर में पूरे महीने 8.77 इंच बारिश हुई थी।

जबलपुर में जुलाई में गिर चुका 45 इंच पानी बड़े शहरों में जबलपुर ऐसा है, जहां सबसे ज्यादा बारिश होती है। वर्ष 1930 में यहां करीब 45 इंच पानी बरसा था जबकि 30 जुलाई 1915 को 24 घंटे की सर्वाधिक 13.5 इंच बारिश हुई थी। 2013 और 2016 में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।
जबलपुर में जुलाई की सामान्य बारिश 17 इंच है। महीने में 15 से 16 दिन पानी बरसता है।

ग्वालियर में कम बारिश का ट्रेंड भोपाल, इंदौर और जबलपुर की तुलना में ग्वालियर में जुलाई के महीने में सबसे कम बारिश होती है। पिछले 10 साल में 6 बार ऐसा हुआ, जब 8 इंच से कम पानी गिरा हो जबकि यहां की एवरेज बारिश 9 इंच के करीब है।
ग्वालियर में वर्ष 1935 में महीने की सबसे ज्यादा बारिश हुई थी। तब 623.3 मिमी यानी 24.5 इंच बारिश दर्ज की गई थी। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश की बात करें तो 12 जुलाई 2015 को 190.6 मिमी यानी साढ़े 7 इंच पानी बरसा था। ग्वालियर में जुलाई के महीने में एवरेज 11 दिन बारिश होती है।

उज्जैन में 36 इंच बारिश का रिकॉर्ड उज्जैन में पूरे जुलाई महीने में 36 इंच बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। इतनी बारिश साल 2015 में हुई थी। 2023 में 21 इंच से ज्यादा पानी गिर गया था। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश 19 जुलाई 2015 को 12.55 इंच हुई थी।
उज्जैन में जुलाई की औसत बारिश 13 इंच है। महीने में 12 दिन पानी बरसता है।

