नगर निगम सहित अन्य एजेंसियों को निर्माण कार्य की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र जारी करने वाली एसबीबी कांक्रीट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड लैब का दैनिक भास्कर टीम ने स्टिंग किया। गांधी नगर स्थित एक छोटे से मकान में चल रही इस लैब के बाहर कोई बोर्ड भी नहीं लग
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काफी पूछताछ के बाद एक व्यक्ति ने बताया कि जे 50 नंबर के मकान के एक हिस्से में ऐसी कोई लैब चलती है। जब टीम वहां पहुंची तो किवाड़ बजाने पर एक दुबला पतला लड़का बाहर आया। लैब की जानकारी लेने पर वह भास्कर टीम को अंदर लेकर गया। यहां उसने लैब संचालक असीम श्रीवास्तव से मुलाकात कराई।
भास्कर टीम ने नए ठेकेदार के रूप में बातचीत की और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता परीक्षण को लेकर समझने का प्रयास किया। इस पर संचालक ने बताया कि आप पहले काम शुरू करें जब गुणवत्ता का मामला आएगा तो हम संभाल लेंगे। आगे की बात आगे ही करेंगे।
इशारों- इशारों में लैब संचालक ने समझा दिया कि काम की गुणवत्ता पूरी तरह से लैब पर डिपेंड है। यह पूछने पर कि आपको इसमें कोई दिक्कत तो नहीं आएगी? इस पर संचालक ने बोला कि जांच करने वाली सभी लैब अपनी रिपोर्ट के नीचे एक लाइन जरूर लिखती हैं कि जिस प्रकार का सैंपल भेजा गया। उसके अनुसार ही रिपोर्ट तैयार की गई है।
डेढ़ साल में दम तोड़ गईं 61 सड़कें क्योंकि इंजीनियर निर्माण होता देखने कभी गए ही नहीं
नगर निगम में ठेकेदार और अफसरों के गठजोड़ का खामियाजा टूटी सड़कें और जलभराव के हालात के रूप में पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है। सड़कों के निर्माण के दौरान न तो उपयंत्री मौजूद रहता है और न ही सहायक यंत्री उनकी मॉनीटरिंग करता है। सबका अपना हिस्सा तय है, इसी लिए सड़कें बद से बदतर होती जा रही हैं और जिम्मेदार अधिक बारिश और जलभराव का बहाना बनाकर बचने का प्रयास कर रहे हैं।
आलम यह है कि पिछले डेढ़ से दो साल तक में तीन साल की गारंटी में 90 करोड़ की लागत से बनाई गई 139 सड़कों में से 40 सड़कों को पिछले डेढ़ से दो साल में तैयार हुईं। इसमें से अधिकांश सड़कें चलने लायक नहीं हैं। इसी प्रकार ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में कायाकल्प अभियान के तहत लगभग 23 करोड़ की लागत से बनाई गईं 21 सड़कों में से भी ज्यादातर की स्थिति खराब है। खासबात यह है कि दो दशक पहले निगम ने खुद ही टेस्टिंग लैब तैयार की थी। लेकिन अफसरों ने इसे चलने नहीं दिया। वर्तमान में इसके उपकरण बस स्टैंड के कबाड़ खाने में रखे हैं।
आनंद नगर गेट तिराहे से बहोड़ापुर तिराहे की रेलवे क्रॉसिंग तक बनाई गई सड़क जगह-जगह से दम तोड़ चुकी है। सबसे बुरे हालात क्रॉसिंग के पास हैं, इस प्वाइंट पर एक कदम भी बिना गड्ढे के आगे नहीं बढ़ा जा सकता। इन गड्ढों में पानी भी भरा हुआ है। जिस वजह से लोगों को गड्ढों का पता नहीं चल पाता और वे दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।
बहोड़ापुर तिराहे चौराहे से आनंदपुर ट्रस्ट वाली सड़क की हालत भी खराब हो चुकी है। चौराहे से लेकर ट्रस्ट तक कई जगह पर ये सड़क इस कदर गड्डा मय हो गई है कि गड्ढों में ही सड़क तलाशना पड़ रही। इसके अलावा कई जगह पर इसकी रोड कटिंग हो गई है। जिससे दो पहिया वाहन चालकों की गाड़ियां अनियंत्रित हो रहीं।
इंदरगंज से थीम रोड को जोड़ने वाली रोशनीघर रोड भी कई जगह क्षतिग्रस्त होती जा रही है। सबसे ज्यादा गड्ढे यहां इंदरगंज से घुसते ही हुए हैं। जहां वाहन चालकों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बिजली कंपनी के दफ्तर के सामने भी सड़क पर गड्ढे हो गए हैं जिनमें सीवर और बारिश का पानी भरा रहा है।
गुणवत्ता पूरी तरह ठेकेदार पर निर्भर सड़कों के निर्माण कार्य की गुणवत्ता को पूरा जिम्मा सिर्फ ठेकेदार का है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद वह लैब का एक प्रमाण पत्र लाकर अपने कार्य की गुणवत्ता साबित कर देता है। ठेकेदार द्वारा उपकृत किए जा रहे अफसर ऐसे प्रमाण पत्रों को क्रॉसचेक कराने का प्रयास नहीं करते।
तकनीकी अधिकारी करते हैं साइन ^सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच का जिम्मा सब इंजीनियर, सहायक यंत्री और कार्यपालन यंत्री का है। ठेकेदार की फाइल पर ये अधिकारी साइन करके देते हैं, गुणवत्ता प्रमाण पत्र को क्रॉस चेक करने का प्रावधान नहीं है। -जेपी पारा, अधीक्षण यंत्री, नगर निगम