जमानत नहीं मिलने से जेल में थी फंसी, अब हाई कोर्ट ने महिला को दी आज़ादी की राह, सालों बाद देखेगी आसमान

जमानत नहीं मिलने से जेल में थी फंसी, अब हाई कोर्ट ने महिला को दी आज़ादी की राह, सालों बाद देखेगी आसमान


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Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पति हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला को व्यक्तिगत जमानत पर रिहा किया. जमानत राशि न चुकाने की वजह से वह 5 साल से जेल में थी.

Jabalpur High Court

हाइलाइट्स

  • विद्या बाई को हाई कोर्ट ने 10,000 रुपये की व्यक्तिगत जमानत पर रिहा
  • मानवीय स्थिति को ध्यान में रखकर दिया गया
  • सहानुभूति और न्याय में समानता का संदेश
जबलपुर. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महिला को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है, जो अपने पति की हत्या के आरोप में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाए गए आजीवन कारावास की सजा पर थी. हालांकि, जमानत के लिए जरूरी ज़मानत राशि (बॉन्ड) न चुका पाने के कारण वह पांच साल से ज्यादा जेल में बंद रही. अब हाई कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को संशोधित करते हुए महिला को केवल 10,000 रुपये की व्यक्तिगत जमानत पर रिहा करने का फैसला लिया है, जिससे उसे कोई पैसा नहीं देना होगा और न ही संपत्ति गिरवी रखनी होगी. कोर्ट ने यह आदेश मानवीय आधार पर दिया है, क्योंकि यह मामला ‘बहुत ही दुर्लभ’ है.

आजीवन कारावास की सजा
इस महिला, विद्या बाई, 2014 में अपने पति सुरेंद्र उपाध्याय की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. उसने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. उच्च न्यायालय ने 8 जनवरी 2020 को उसकी सजा को अस्थायी रूप से रोकते हुए जमानत पर रिहाई का आदेश दिया था. लेकिन महिला को तब रिहा नहीं किया गया क्योंकि वह ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए जुर्माने और ज़मानत राशि का भुगतान करने में असमर्थ थी.

जमानत पर रिहाई का आदेश
हाल ही में हाई कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया जिसमें कहा गया कि महिला गरीबी के कारण जुर्माना और जमानत राशि जमा नहीं कर पा रही है. इस स्थिति को देखते हुए राज्य के विधिक सहायता प्राधिकरण ने जुर्माने की रकम जमा कर दी. इसके बाद कोर्ट ने माना कि यदि महिला को व्यक्तिगत जमानत पर रिहा किया जाए तो वह ‘जबर्जस्ती’ जेल में बंद नहीं रहेगी.

इस मामले की सुनवाई करते हुए, डिवीजन बेंच के न्यायमूर्ति वी.के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए.के. सिंह ने पुराने आदेश को संशोधित कर दिया और महिला को 10,000 रुपये की व्यक्तिगत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इस प्रकार, महिला बिना किसी अतिरिक्त आर्थिक बोझ के जेल से बाहर आ सकेगी.

यह फैसला मानवता और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है क्योंकि सजा के बावजूद आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से महिला को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति रखता है और न्याय की प्रक्रिया में समानता को सुनिश्चित करता है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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