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Baby Care Tips: बच्चों का लालन-पालन करना आसान काम नही है. उनकी हर जरूरत को समझकर उसे पूरा करना और समझना बेहद जरूरी होता है. ये काम तब और मुश्किल हो जाता है, जब आपका बच्चा नवजात हो बच्चे अक्सर रोकर अपनी बातों को समझाने की कोशिश करते हैं.
माता-पिता के लिए सबसे मुश्किल पल तब होता है जब उनका नवजात या छोटा बच्चा लगातार रो रहा हो और लाख कोशिशों के बाद भी शांत न हो रहा हो. कई बार बच्चा इतना ज़ोर-ज़ोर से रोता है कि पैरेंट्स घबरा जाते हैं और समझ नहीं पाते कि समस्या क्या है. ऐसे में जरूरी है कि हम समझें कि छोटे बच्चों का रोना सामान्य है, लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा हो तो इसके पीछे कारण जरूर होते हैं.

बच्चे अगर बार-बार रोते हैं तो जरूरी है कि उसके कारण को समझें. हर उम्र के बच्चे के रोने की वजह अलग हो सकती है. इसके साथ ही बच्चों को चुप कराने के लिए खुद की मानसिक स्थिति का भी आकलन करें. अगर बच्चा लगातार रो रहा है तो उससे परेशान न हो बल्कि उसका कारण को समझने की कोशिश करें. जिससे कि वो चुप हो सके.

बच्चों का लालन-पालन करना आसान काम नही है. उनकी हर जरूरत को समझकर उसे पूरा करना और समझना बेहद जरूरी होता है. ये काम तब और मुश्किल हो जाता है, जब आपका बच्चा नवजात हो. बच्चे अक्सर रोकर अपनी बातों को समझाने की कोशिश करते हैं. हालांकि बच्चे अलग-अलग कारणों से रोते हैं. कभी डर तो कभी गुस्से और भूख लगने की वजह से बच्चों का रोना आम बात है. लेकिन जब बच्चे जरूरत से ज्यादा रो रहे हों तो जरूरी है उनकी समस्याओं को समझने की और उसका निदान करने की.

बच्चे कई बार शारीरिक कष्ट की वजह से रोते हैं. पेट में दर्द, गैस या कान में होने वाला दर्द बच्चों को परेशान करता है. तो कुछ आसान से तरीके अपना कर भी आप बच्चे को शांत करा सकते हैं.

अगर बच्चा गैस के कारण रो रहा है तो उसके पेट पर हल्के हाथों से गुनगुने तेल से मालिश करें. इससे गैस बाहर निकलने में मदद मिलती है और बच्चा धीरे-धीरे शांत हो जाता है. मालिश करते समय पेट पर सर्कुलर मोशन में हाथ घुमाएं.

बच्चे को कंधे से लगाकर धीरे-धीरे उसकी पीठ थपथपाएं. इससे उसे डकार लेने में मदद मिलेगी और अगर पेट में गैस है तो वह भी बाहर निकल सकती है. यह तरीका नवजात शिशुओं के लिए सबसे असरदार है.

बच्चे को अपनी गोदी या किसी समतल जगह पर पेट के बल थोड़ी देर के लिए लिटा दें. इससे गैस आसानी से बाहर निकलती है. ध्यान रखें कि आप बच्चे के पास रहें और उसका सिर एक ओर रखा हो ताकि सांस लेने में कोई तकलीफ न हो.

बच्चे की टांगों को पकड़कर धीरे-धीरे साइकिल चलाने जैसी हरकत कराएं. इससे पेट की आंतों में हिलचल होती है और गैस आसानी से बाहर निकलती है. साथ ही, पैर और जांघों की हल्की मसाज से भी राहत मिलती है.

अगर बच्चा लगातार रो रहा है और अन्य उपायों से नहीं चुप हो रहा है, तो आप उसे पेसिफायर (चुसनी) दे सकते हैं. इससे बच्चे को मानसिक सुकून मिलता है और चूसने की प्रक्रिया से वह शांत होने लगता है. हालांकि, इसका नियमित इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से करें.

गर्मियों में या ज्यादा रोने पर बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाना भी एक अच्छा विकल्प है. इससे शरीर की मांसपेशियों को राहत मिलती है और बच्चा रिलैक्स होता है.

हमेशा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.<br />यदि बच्चा लगातार 2–3 दिन से रो रहा है, दूध नहीं पी रहा या बुखार है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.<br />नवजात के लिए कोई भी घरेलू नुस्खा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.<br />छोटे बच्चों का रोना आम बात है, लेकिन अगर यह जरूरत से ज्यादा हो तो माता-पिता को समझदारी से काम लेना चाहिए. ऊपर बताए गए सरल उपायों से अधिकतर बच्चों को राहत मिलती है. सबसे जरूरी बात – धैर्य रखें, घबराएं नहीं. समय के साथ बच्चे की आदतें और शरीर दोनों बेहतर होते हैं.