रात 11 बजे सायरन बजने के साथ ही कोटरा गांव में अफरातफरी मच गई। जब ग्रामीण बाहर निकले तो उनके सामने पूरा इलाका पानी में डूबा हुआ था। सिंध नदी का तेज बहाव सोमवार की रात अचानक बढ़ गया और कुछ ही घंटों में पूरा गांव जलमग्न हो गया। प्रशासन की टीम ने समय रह
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दैनिक भास्कर ने बाढ़ पीड़ित कोटरा गांव पहुंचकर हालातों का जायजा लिया। पढ़िए यह रिपोर्ट..
अचानक बाढ़ की चेतावनी, गांववालों में मचा हड़कंप
बुधवार रात 11 बजे प्रशासन ने गांव में सायरन बजाकर और माइक से अलर्ट देकर लोगों को खतरे की जानकारी दी। ग्रामीण घर छोड़कर बाहर निकले तो देखा कि नदी का पानी खतरे के निशान तक पहुंच चुका था। देखते ही देखते मुख्य रास्तों पर पानी एक से डेढ़ फीट तक फैल गया। लोग तुरंत अपने मवेशियों और जरूरी सामान लेकर गांव छोड़ने लगे। कई लोग हाईवे के किनारे अस्थाई ठिकानों में शरण लेने को मजबूर हो गए, वहीं कुछ अभी भी गांव में फंसे हुए थे।
सुबह तक पूरा गांव जलमग्न, लोग तैरकर या ट्यूब के सहारे घर लौटे
गांव के निवासी हरिमोहन रावत ने बताया कि सुबह तक पूरा गांव पानी में डूब गया था और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। कई लोग तैरकर, कुछ ट्यूब का सहारा लेकर, और कई लोग आधे शरीर तक पानी में डूबकर अपने घर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। भय इस कदर था कि लोग घर छोड़ना नहीं चाहते थे, क्योंकि 2021 की बाढ़ के बाद कई घरों में चोरी हो चुकी थी।
70 से अधिक परिवारों को घर छोड़ना पड़ा
कुछ ग्रामीण मंदिरों और वन विभाग की इमारतों में शरण लिए हुए हैं, जबकि कई खुले आसमान के नीचे हाईवे के किनारे ठहर गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा से करीब 70 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं, जिन्हें बीते 24 घंटे से अपने घरों से दूर रहना पड़ा है।
ग्रामीणों की चिंता, गांव छोड़ना मजबूरी
गांव के धर्म सिंह रावत ने बताया कि 2021 की बाढ़ ने पूरी जिंदगी तबाह कर दी थी। मुश्किल से जीवन पटरी पर आया था, लेकिन अब फिर वही हालात पैदा हो गए हैं। जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे गांव छोड़ चुके हैं। बाकी लोग डर के साए में जी रहे हैं और अब उन्हें गांव छोड़कर कहीं और बसने का विचार करना पड़ रहा है।

प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया, महिलाओं और बच्चों को निकाला
स्थिति गंभीर होते देख प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े मंगलवार सुबह खुद मोटर बोट से गांव पहुंचे और लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। उन्होंने रेस्क्यू का खुद निरीक्षण किया। सबसे पहले महिलाओं और बच्चों को बाहर निकाला गया। ग्रामीणों के लिए भोजन, दवा और राहत सामग्री की व्यवस्था भी की गई।
गांव को दूसरी जगह बसाने पर विचार जारी
गांव के सरपंच राकेश वंशकार ने बताया कि हर साल बारिश के मौसम में गांव की हालत बिगड़ती जा रही है। ग्रामीणों ने कलेक्टर से गांव को दूसरी सुरक्षित जगह बसाने की मांग की है। कलेक्टर ने तहसीलदार और पटवारी को इसका विकल्प खोजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर आपदा से निपटने के लिए तैयारी की गई है और राहत कार्य जारी है।
1300 से ज्यादा आबादी वाला गांव, फिर भी बाढ़ के सामने बेबस
ग्राम पंचायत सचिव विशवा शर्मा ने बताया कि गांव की जनसंख्या करीब 1300 से अधिक है। जलस्तर बढ़ते ही प्रशासन ने राहत शिविर, भोजन और दवा की व्यवस्था की। हालांकि अब पानी का स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन लोगों के बीच डर और चिंता अभी भी कायम है।
मुख्य रास्तों पर 6-7 फीट तक पानी बह रहा
दैनिक भास्कर की टीम जब बुधवार शाम कोटरा गांव पहुंची, तो मुख्य रास्तों पर पानी 6-7 फीट तक बह रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि जलस्तर अब पहले से कम हो गया है, लेकिन गांव के अंदर जाना अभी भी खतरनाक है।
पूर्व गृह मंत्री भी पहुंचे, राहत कार्यों को तेज करने की अपील की
आपदा की जानकारी मिलते ही पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी गांव पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात की और प्रशासन से समन्वय बढ़ाकर राहत कार्यों को तेजी से पूरा करने की अपील की।
इस तरह कोटरा गांव की बाढ़ ने फिर से जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, लेकिन प्रशासन और ग्रामीण मिलकर राहत और पुनर्वास के प्रयास कर रहे हैं।