जंगल में गश्त करते वनकर्मी और सुरक्षा श्रमिक।
उमरिया- बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बारिश के मौसम में विशेष मानसून गश्त चल रही है। बारिश के दौरान वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा बीटीआर प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है।
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इस मौसम में जंगलों में झाड़ियां बड़ी हो जाती हैं। बारिश से जंगल की सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इससे वन क्षेत्र में पहुंचना मुश्किल हो जाता है। बीटीआर प्रबंधन के अधिकारी और कर्मचारी टीम बनाकर गश्त कर रहे हैं। यह मानसून गश्त 30 सितंबर तक जारी रहेगी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथी, बाघ, भालू, तेंदुआ सहित कई मांसाहारी,शाकाहारी वन्य प्राणियों की हलचल रहती है। बारिश के मौसम में शिकारियों, अतिक्रमण और वन माफियाओं से वन क्षेत्र को बचाना प्रबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण है।
रिजर्व के नौ परिक्षेत्र के 139 बीट में लगभग एक हजार अधिकारी और कर्मचारी सुरक्षा के लिए निरंतर गश्त कर रहे हैं। वन क्षेत्र में गश्त के दौरान विशेष सावधानियां बरती जा रही हैं।
सुरक्षा श्रमिकों के साथ वनकर्मी।
बारिश के दौरान समस्याएं
वन अधिकारी और कर्मचारी जंगल में चार से पांच सदस्यों की टीम के साथ भ्रमण करते हैं। झाड़ियों में छिपे बाघों से सावधानी बरतते हैं। जंगल से होकर गुजरने वाली विद्युत तारों के नीचे डंडों से जांच की जाती है। इससे कर्मचारी करंट से सुरक्षित रहते हैं। बाघ के पग मार्क के सहारे भी बाघ से दूरी बनाई जाती है।

गश्त के दौरान ग्रामीणों से चर्चा करते वनकर्मी।
दो दल बनाकर कर रहे गश्त
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय ने बताया कि बारिश के मौसम में विशेष मानसून गश्त की जाती है। शेड्यूल बनाकर वन क्षेत्र में दो सौ वनकर्मी और 700 से अधिक सुरक्षा श्रमिक लगातार जंगलों में गश्त कर रहे हैं।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का क्षेत्र 1536 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र में भी सुरक्षाकर्मी पहुंचकर जंगल में गश्त कर रहे हैं।