मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा में विधेयक पेश किया है।
मेट्रोपॉलिटन सिटी के महानगर विकास आयुक्त, उसके अधीनस्थ अधिकारी और महानगर विकास समिति के किसी सदस्य के खिलाफ कोई भी वाद या अभियोजन दायर नहीं किया जा सकेगा। ऐसा सिर्फ उसी स्थिति में हो सकेगा, जब समिति द्वारा तय मापदंडों और व्यापक जनहित की अनदेखी की गई
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नगरीय विकास और आवास विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को विधानसभा में मेट्रोपॉलिटन सिटी डेवलपमेंट को लेकर विधेयक पेश किया है। विधेयक पर मंगलवार को चर्चा कराई जा सकती है।
प्रस्तावित विधेयक में प्रावधान किया है कि मेट्रोपॉलिटन सिटी के एरिया में आवासीय रूप में उपयोग में लाए जाने वाले किसी भवन या उसके बगीचे के हिस्से में महानगर आयुक्त की टीम केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य ही प्रवेश कर सकेगी। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को कम से कम 24 घंटे पूर्व प्रवेश करने की लिखित सूचना देना होगा।
इस विधेयक में मेट्रोपॉलिटन सिटी के कार्यक्षेत्र, अथारिटी को लेकर कहा है कि राज्य सरकार महानगर क्षेत्र के लिए एक इंटीग्रेटेड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन करेगी।
इस अथॉरिटी द्वारा ट्रांसपोर्ट और परिवहन उपायों का एक्जीक्यूशन और कोआर्डिनेशन का कार्य किया जाएगा। अथॉरिटी में एक ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट भी शामिल होगा।
यह काम करेगी ट्रांसपोर्ट अथारिटी
इंटीग्रेटेड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के काम भी तय कर दिए हैं। इसमें कहा है कि यह अथारिटी विभिन्न यातायात और परिवहन उपायों का सुपरविजन करेगी। साथ ही महानगर क्षेत्र में अपने स्थान पर प्रभावी परिवहन व्यवस्था को सुनिश्चित करेगी।
अलग-अलग विभागों द्वारा किए गए यातायात और परिवहन उपायों को प्रभावी समन्वय और कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जाएगा। बड़ी यातायात और परिवहन योजनाओं को इस अथॉरिटी द्वारा मॉनिटर भी किया जाएगा। इसके साथ ही आवश्यक अनुसंधान भी किए जाएगी।
विभिन्न विभागों और अभिकरणों की सभी कार्य योजनाओं को इंटीग्रेटेड कर महानगर क्षेत्र के ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट स्कीम के लिए भी एग्जीक्यूट करने का काम किया जाएगा।
साथ ही सार्वजनिक परिवहन के विभिन्न मार्गों, जॉइंट टिकटिंग के मामले और फीडर सर्विसेज का भी इंटीग्रेशन अथॉरिटी द्वारा किया जाएगा।
एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण की सिफारिश पर भी फोकस किया जाएगा। हर 3 महीने में इसकी एक बैठक होगी। इसके लिए प्राधिकरण को तकनीकी सहायक कर्मचारी और सचिव, सहायक महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे।
महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करेगा और इसे अपडेट करने के लिए सर्वे कराएगा और इससे अलग-अलग स्टडी और आम जनता को भी उपलब्ध कराया जाएगा। डेटाबेस महानगर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक आवश्यकताओं की निगरानी करनी में सहायता करेगा।
ऐसे काम करेगा महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण विधेयक में कहा है कि महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर किसी नगर विकास योजना के विकास कार्य को कर सकेगा। किसी अन्य निकाय को ऐसी नगर विकास योजना के लिए अधिकृत कर सकेगा। ऐसी नगर विकास योजना महानगर विकास और निवेश योजना की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के अनुरूप होगी। प्राधिकरण इस योजना के संबंध में नगर तथा ग्राम निवेश के संचालक की शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा।
- व्यवस्था लागू होने के बाद महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण से डेवलपमेंट परमिशन लिए बिना क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं किया जा सकेगा।
- विधेयक में कहा है कि किसी भवन के मरम्मत और परिवर्तन के कार्य के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। केंद्र, राज्य सरकार के अधीन स्थापित कोई प्राधिकरण या अधिकार रखने वाले स्थानीय प्राधिकरण द्वारा किसी राजमार्ग, सड़क या सार्वजनिक मार्ग के सुधार या मरम्मत के लिए कोई परमिशन की जरूरत नहीं होगी।
- जल निकासी, सीवर, मुख्य पाइप लाइन, केबल, टेलीफोन या अन्य उपकरण के निरीक्षण, मरम्मत, नवीनीकरण के लिए जिसमें किसी सड़क को खोदा जाना शामिल हो, परमिशन की जरूरत नहीं होगी।
- कृषि के लिए की जाने वाली खुदाई के लिए भी परमिशन की जरूरत नहीं होगी।
- महानगर आयुक्त द्वारा अगर किसी क्षेत्र के प्रस्तावित विकास पर अगर कोई आपत्ति की जाती है तो आपत्तियों का समाधान करने के लिए विकास के प्रस्तावों में बदलाव करना होगा।
महानगर आयुक्त की आपत्ति के साथ प्रस्ताव राज्य शासन को भेजे जाएंगे। अगर 30 दिन में कोई आपत्ति नहीं होती है तो माना जाएगा कि योजना उस सीमा तक अनुमोदित है जिस सीमा तक महानगर विकास एवं निवेश योजना क्षेत्र विकास, योजना नगर विकास स्कीम के नियमों के अधीन बनाए गए प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।
2 महीने में निर्णय नहीं तो परमिशन मंजूर अधिनियम में यह भी प्रावधान किया है कि अगर आवेदन मिलने की तारीख से 2 महीने की अवधि में महानगर आयुक्त परमिशन जारी करने का निर्णय नहीं लेते हैं तो इस अवधि के बाद यह माना जाएगा कि परमिशन मंजूर हो गई है।
लेकिन, अगर 2 महीने के बाद में किसी सूचना याद दस्तावेज के लिए अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है तो उस तिथि से उत्तर प्राप्त होने तक की अवधि को दो माह की अवधि में काउंट नहीं किया जाएगा।
जारी परमिशन को 3 साल तक वैलिड माना जाएगा। इसके बाद दोबारा आवेदन मिलने पर साल दर साल बढ़ाया जा सकेगा लेकिन यह 5 साल से अधिक नहीं होगा।
महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण एक महानगरीय भूमि बैंक की स्थापना करेगा और उसकी देखरेख भी करेगा जिसमें सभी अधिग्रहित की गई जमीन, आवंटित जमीन और खरीदी या प्राप्त की गई जमीन की निगरानी और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी शामिल होगी।
इसके लिए समय-समय पर इसका पुनर्विलोकन भी किया जाएगा।
अधिनियम में कहा है कि प्राधिकरण के प्रशासकीय कार्यों के 200 करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से एक महानगर विकास निधि का सृजन करेगी।
अधिनियम में प्रावधान है कि आवासीय भवन के रूप में उपयोग में लाए जाने वाले किसी भवन या उससे लगे बगीचे के हिस्से में महानगर आयुक्त की टीम केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य की प्रवेश कर सकेगी। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को 24 कम से कम 24 घंटे पूर्व प्रवेश करने की लिखित सूचना देना होगा।
अधिनियम में यह प्रावधान है कि महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के किसी सदस्य या किसी अधिकारी या किसी कर्मचारी या नियम की अधीन बनाई गई समिति के किसी सदस्य के खिलाफ तब तक कोई भी वाद, अभियोजन या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। जब तक अधिनियम के अधीन सद्भाव पूर्वक किए गए किसी कार्य का उल्लंघन नहीं हुआ हो।
महानगर योजना समिति बनेगी
- हर महानगर क्षेत्र के लिए महानगर योजना समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एक सदस्य सचिव सहित अन्य सदस्य होंगे। जिन्हें राज्य सरकार तय करेगी।
- सांसद और विधायक जिनके निर्वाचन क्षेत्र पूरी तरह से या आंशिक रूप से महानगर क्षेत्र में स्थित हैं। वे समिति की बैठकों के स्थायी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
- महानगर क्षेत्र में नगर पालिका, नगर परिषद के अध्यक्ष और नगर निगम के महापौर भी यदि समिति के निर्वाचित सदस्य नहीं है तो भी वह स्थायी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
- समिति पूरे महानगर क्षेत्र के लिए एक महानगर विकास और निवेश योजना का प्रारूप तैयार करेगी।
मुख्यमंत्री होंगे प्राधिकरण के अध्यक्ष
- अधिनियम में प्रावधान किया है कि सरकार महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण बनाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे।
- नगरीय विकास और आवास विभाग के मंत्री तथा पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष के रूप में काम करेंगे। राजस्व विभाग के मंत्री भी उपाध्यक्ष होंगे।
- कमेटी में मुख्य सचिव के साथ नगरीय विकास एवं आवास, राजस्व, परिवहन, लोक निर्माण, पर्यावरण, पंचायत और ग्रामीण विकास तथा ऊर्जा विभाग के एसीएस, प्रमुख सचिव और सचिव सदस्य के रूप में काम करेंगे।
- वे संभाग आयुक्त जिनका मुख्यालय मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में स्थित है वह भी कमेटी में शामिल रहेंगे।
- संचालक नगर संचालनालय नगर व ग्रामीण निवेश के संचालक भी सदस्य होंगे।
- महानगर आयुक्त की जिम्मेदारी उसे सौंपी जाएगी जो शासन में सचिव स्तर से कम पद वाला न हो। महानगर आयुक्त इसके सदस्य संयोजक के रूप में काम करेंगे।
- विशिष्ट विषय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले चार से अधिक व्यक्ति विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए जाएंगे।
- सभी नगर निगम आयुक्त, सभी रेलवे क्षेत्र के महाप्रबंधक, भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के प्रतिनिधि, मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक, महानगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधानसभा के चार सदस्य जो नामांकित होंगे वह भी कमेटी के सदस्य होंगे।
- नगर निगम के महापौर, नगर पालिकाओं के अध्यक्ष, जिला पंचायत के अध्यक्ष भी शासन द्वारा नामांकित तीन सदस्यों में शामिल रहेंगे।
- इस प्राधिकरण की बैठक छह माह में कम से कम एक बार होगी।
एक कार्यकारी समिति भी बनाई जाएगी महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की एक एग्जीक्यूटिव बॉडी होगी जिसके महानगर आयुक्त अध्यक्ष होंगे। नगर निगम के आयुक्त, मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के आयुक्त, मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त सचिव, परिवहन विभाग के उप परिवहन आयुक्त नगर व ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे। अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट को भी इस कमेटी में शामिल किया जाएगा।
15 वर्ष के लिए प्लान तैयार करेगी समिति
- महानगर क्षेत्र विकास समिति को जो काम करना है उसके अंतर्गत वह 15 साल के लिए महानगर विकास और निवेश योजना का प्रारूप तैयार करेगा।
- इसमें महानगर क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए प्रस्ताव तैयार करने और नीतियां बनाने का काम होगा।
- साथ ही विकास योजनाएं तैयार करने, आवासीय क्षेत्र की कृषि योग्य भूमि, वन क्षेत्र, बंजर भूमि, राजमार्ग, रेलवे, जल, निकाय, खनन क्षेत्र और इकोसिस्टम के हिसाब से भूमियों के उपयोग की नीति तैयार करने का काम किया जाएगा।
- परिवहन, ऊर्जा, संचार, नेटवर्क जैसी सुविधाओं के साथ-साथ बिजली संयंत्र, सड़कें, राजमार्ग, रेलवे, हवाई अड्डे और जल मार्गों की वर्तमान स्थिति और प्रस्तावों को भी बताना होगा।
- पर्यटन स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य वाले क्षेत्र के साथ ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व वाले स्थलों और पर्यटन क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन और विकास के लिए नीति तैयार करने की जिम्मेदारी समिति की होगी।
- जल ग्रहण प्रबंधन, जलापूर्ति, वर्षा जल संचयन, भूजल संवर्धन, बाढ़ नियंत्रण और जल प्रदूषण के रोकथाम का काम समिति द्वारा करने के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे।
- शहरी सुधारों के अंतर्गत जलापूर्ति, बिजली, संचार, गैस, वर्षा जल निकासी, सीवरेज, कचरा निपटान, स्वास्थ्य सुविधाएं, सामाजिक कल्याण एवं वायु तथा जल में प्रदूषण नियंत्रण के सुधार के लिए प्रस्ताव तैयार करने का भी काम समिति द्वारा किया जाएगा।
- इसके साथ ही आवास एवं सामुदायिक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए नीतियां भी बनाने की जिम्मेदारी समिति की होगी।
- यातायात एवं परिवहन तथा सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव और नीति तैयार करने का काम किया जाएगा।
- औद्योगिक विकास के लिए प्रस्ताव नीति तैयार की जाएगी।
- प्रमुख विकास परियोजनाओं का स्थापन किया जाएगा।
- समय सीमा में विभिन्न प्रस्ताव और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए रणनीति बनाने और प्राथमिकता तय करने की जिम्मेदारी होगी। वन क्षेत्र के पुनर्जीवन के लिए उपाय करना होगा।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मामलों में वास्तविक नियंत्रण और भवनों की ऊंचाई व अन्य सुझाव देने का काम भी किया जाएगा।
- महानगर क्षेत्र की व्यवस्थित विकास एवं प्रबंधन के लिए अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी समिति फोकस करेगी।