बुरहानपुर में 400 परिवारों की जमीन पर फर्जीवाड़े का आरोप: कबीर पंथ मंदिर को अस्थायी कब्जे में दी; रहवासियों ने किया विरोध – Burhanpur (MP) News

बुरहानपुर में 400 परिवारों की जमीन पर फर्जीवाड़े का आरोप:  कबीर पंथ मंदिर को अस्थायी कब्जे में दी; रहवासियों ने किया विरोध – Burhanpur (MP) News


बुरहानपुर शहर के मालवीय वार्ड क्रमांक 16 स्थित ब्लॉक नंबर 05, प्लॉट नंबर 54-1 में रह रहे लगभग 400 परिवारों ने अपनी भूमि के अवैध नामांतरण और अस्थायी कब्जे को लेकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को बड़ी संख्या में रहवासी कलेक्टर कार्यालय

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रहवासियों का आरोप है कि जिस भूमि पर वे 1984 से रह रहे हैं, उस पर कबीर पंथ मंदिर को फर्जी तरीके से अस्थायी कब्जा दे दिया गया। एडीएम ने पूरे मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।

1984 से रह रहे हैं परिवार, शासन से मिले थे पट्टे राजीव नगर और सुभाष नगर के इस क्षेत्र में अधिकांश परिवार पिछले 40-50 वर्षों से निवासरत हैं। इन्हें 1984 और 1998 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थायी आवासीय पट्टे आवंटित किए गए थे। यहां करीब 2,500 लोग निवास करते हैं और नियमित रूप से नगर निगम को संपत्ति कर का भुगतान भी करते हैं।

स्थानीय लोगों की मांग है कि संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए।

पट्टा नवीनीकरण के दौरान हुआ खुलासा हाल ही में जब लोगों ने अपने पुराने पट्टों का नवीनीकरण कराने के लिए आवेदन दिया, तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि लगभग 1.46 लाख वर्गफीट भूमि वर्ष 2010-11 में कबीर पंथ मंदिर को पौधारोपण के लिए अस्थायी कब्जे में दे दी गई है।

रहवासियों का कहना है कि यह पूरा मामला तत्कालीन उप नजूल अधिकारी की मिलीभगत से अंजाम दिया गया, जिसकी सत्यापित जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा।

फर्जीवाड़े के प्रमाण

  • राजस्व प्रकरण ही अस्तित्व में नहीं: रहवासियों ने बताया कि जिस प्रकरण क्रमांक 01-वी 121, दिनांक 17 जून 2011 के आधार पर भूमि अस्थायी कब्जे में देने की बात कही जा रही है, वैसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
  • गलत नामांतरण: जिस खसरे में कबीर पंथ मंदिर को भूमि देने का उल्लेख है, वह प्रकरण “मून ऑटो पार्ट्स” नामक संस्था के नाम से दर्ज पाया गया।
  • दायरा पंजी से पुष्टि: वर्ष 2011 के दायरा पंजी में कबीर पंथ मंदिर को 146683 वर्गफीट भूमि अस्थायी कब्जे में दिए जाने का उल्लेख तो है, लेकिन उस भूमि पर लोग लगभग 50 वर्षों से रह रहे हैं, और यह क्षेत्र पूर्णत: आवासीय है।

सार्वजनिक सुविधाएं भी प्रभावित रहवासियों ने बताया कि विवादित भूमि पर केवल आवासीय निर्माण ही नहीं, बल्कि एक शासकीय स्कूल (12वीं तक), खेल मैदान, प्राचीन महादेव मंदिर, सबमर्सिबल पंप हाउस (वार्ड की जल आपूर्ति हेतु), और आंगनवाड़ी केंद्र भी संचालित हो रहे हैं।

स्थानीय अधिवक्ताओं संतोष देवताले, अनिल पवार, प्रदीप नाविक और अमर चौधरी ने इस मुद्दे को उठाते हुए मांग की है कि इस अवैध नामांतरण को तत्काल निरस्त किया जाए और पट्टाधारियों के पट्टों का नवीनीकरण किया जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए।



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