मंडला में गोंडी पेंटिंग से राखियां तैयार कर रही महिलाएं: 10 से 100 रुपए तक में बिक रही, साढ़े तीन सौ का गिफ्ट पैक भी बनाया – Mandla News

मंडला में गोंडी पेंटिंग से राखियां तैयार कर रही महिलाएं:  10 से 100 रुपए तक में बिक रही, साढ़े तीन सौ का गिफ्ट पैक भी बनाया – Mandla News


मंडला जिले की गोंडी चित्रकला अब राखी के रूप में भाइयों की कलाइयों पर अपनी अनूठी छटा बिखेरेगी। यह कला सदियों से गोंड जनजाति की सांस्कृतिक पहचान रही है।

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इस रक्षाबंधन पर स्व सहायता समूह की महिलाएं गोंडी पेंटिंग से सजी मनमोहक राखियां तैयार कर रही हैं। ये राखियां सौंदर्यपूर्ण होने के साथ जनजातीय संस्कृति की समृद्ध विरासत को भी प्रदर्शित करती हैं।

गोंडी चित्रकला मंडला और डिंडौरी जिले की गोंड जनजाति की प्राचीन कला है। यह प्रकृति से प्रेरित है और परंपरागत रूप से दीवारों, फर्श और गोदना के रूप में उकेरी जाती रही है।

इसमें रंगीन मिट्टी, कोयला, पौधों का रस, पत्तियां, फूल और गोबर जैसे प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। ये पेंटिंग्स प्रकृति के साथ गोंड समुदाय के गहरे जुड़ाव को दर्शाती हैं।

इस कला को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन, नाबार्ड और ग्रामीण विकास और महिला उत्थान संस्था सहयोग कर रहे हैं। इन प्रयासों के तहत गोंडी पेंटिंग को पोस्टकार्ड, रुमाल, लोटा, फ्रिज मैग्नेट, डायरी, बुकमार्क और बैग जैसे उत्पादों में ढाला गया है। इन उत्पादों को देशभर की प्रदर्शनियों में सराहना मिली है।

नैनपुर और मंडला विकासखंड की स्व सहायता समूह की महिलाएं ऊन, मोती, गोटा पट्टी से गोंडी कला वाली राखियां बना रही हैं। इन राखियों की लागत 10 से 40 रुपए तक है। ये 25 से 100 रुपए में बिक रही हैं। इसके अलावा, 350 रुपए का एक विशेष गिफ्ट पैक भी तैयार किया गया है। इसमें दो राखियां, दो रुमाल, आंवला कैंडी और दो आंवला लड्डू शामिल हैं।

इन राखियों को आजीविका मिशन के आउटलेट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचा जा रहा है। पिछले वर्ष मुख्यमंत्री मोहन यादव को भी इन समूहों की दीदियों ने गोंडी राखी भेंट की थी। यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। साथ ही गोंडी कला को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में भी मदद कर रही है।



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