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उन्होंने बताया कि केले के पौधों की देखरेख में उर्वरक सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. खेती की शुरुआत यानी पौधे की रोपाई से लेकर फल आने तक, हर चरण पर पौधे को सही पोषण मिलना जरूरी होता है. देवके ने कहा कि बुरहानपुर में लंबे समय से केले की खेती हो रही है और यहां के किसान अब वैज्ञानिक तरीके से खाद का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें फायदा भी हो रहा है.
देवके ने यह भी बताया कि जब पौधे में फूल और फल आना शुरू होते हैं, तब किसान को पत्तियों पर एक खास घोल का छिड़काव करना चाहिए. इस घोल में न्यूट्रीवन फ्लावरिंग स्पेशल और पोटेशियम सल्फेट मिलाया जाता है. यह फल की संख्या और गुणवत्ता दोनों बढ़ाने में मदद करता है.
देवके ने किसानों को सलाह दी कि वे किसी भी फसल की खेती से पहले कृषि विभाग या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें, ताकि उर्वरकों का संतुलित उपयोग किया जा सके और फसल की उत्पादकता बढ़ाई जा सके.