मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ ने न्यायिक और गैर-न्यायिक विभाजन योजना के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। संघ ने मुख्य सचिव को भेजे ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि 6 अगस्त से प्रदेशभर के राजस्व अधिकारी आपदा प्रबंधन को छोड़कर अन्य सभी कार्यों से विरत
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नरसिंहपुर जिले में बुधवार को डेढ़ दर्जन से अधिक तहसीलदारों ने कलेक्टर परिसर में धरना देकर विरोध जताया। संघ का कहना है कि शासन द्वारा पूर्व में दिए गए मौखिक आश्वासन के तहत यह योजना मात्र 12 जिलों में पायलट रूप में लागू की जानी थी। राजस्व न्यायालयों का विलय नहीं किया जाना था, लेकिन इसके विपरीत 9 अन्य जिलों में भी योजना लागू कर दी गई। न्यायालयों को मर्ज कर दिया गया और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को आवश्यक संसाधन भी नहीं दिए गए। इससे आहत होकर संघ ने पुनः विरोध शुरू करने का निर्णय लिया है।
3 अगस्त को हुई प्रदेश स्तरीय आपात बैठक में 45 जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी अधिकारी शासकीय कार्यों से विरत रहेंगे, लेकिन कोई भी सामूहिक अवकाश या हड़ताल नहीं ली जाएगी। सभी अधिकारी जिला मुख्यालयों पर उपस्थित रहेंगे। वे शासकीय वाहन और डिजिटल सिग्नेचर जमा करेंगे और शाम 6 बजे उपस्थिति पत्रक पर हस्ताक्षर करेंगे।
संघ ने शासन से मांग की है कि कार्यपालिक दंडाधिकारी की शक्तियां या तो पुलिस विभाग या सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी जाएं। इससे राजस्व अधिकारी अपने मूल कार्य राजस्व प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि परिवीक्षाधीन अधिकारी इस आंदोलन से अलग रहेंगे। वे अपने प्रशिक्षण व दायित्वों का पालन करते रहेंगे। संघ ने शासन से इस विभाजनकारी योजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है।