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Brother Sister Rakshabandhan Story: खंडवा की अंतिम पटेल ने अपनी मां की जगह लेकर चचेरे भाई को पाला, टिफिन सेंटर चलाकर पढ़ाया और आज वह एडीओ अफसर है. राखी के मौके पर यह कहानी हर दिल को छू लेगी.
खंडवा की यह कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है, बल्कि एक बहन के संघर्ष और उसके भाई के सपनों की सच्चाई है. खंडवा शहर के पदम कुंड मोहल्ले में रहने वाली अंतिम बाला पटेल ने अपनी मां की कमी पूरी करते हुए अपने चचेरे भाई प्रफुल पटेल को पढ़ाया-लिखाया. आज वही भाई कसरावद में एडीओ (एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर) के पद पर कार्यरत है. यह कहानी दिखाती है कि कैसे अटूट प्यार और त्याग से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है.
साल 2017 में, प्रफुल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अंतिम के पास खंडवा आ गए. अंतिम ने अपने भाई की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए एक छोटा-सा टिफिन सेंटर शुरू किया. सुबह-शाम टिफिन बनाने और लोगों तक पहुँचाने के काम में उनका सारा समय चला जाता था. इस कठिन संघर्ष के दौरान भी, उन्होंने कभी हार नहीं मानी. प्रफुल की पढ़ाई का खर्च चलाने के साथ-साथ, अंतिम ने हमेशा उसे मां जैसा प्यार और समर्थन दिया.
राखी का त्योहार उनके लिए एक खास अवसर होता है. हर साल प्रफुल राखी के लिए खंडवा आता है. यह त्योहार सिर्फ एक धागे का नहीं, बल्कि उनके संघर्ष और अटूट प्रेम का प्रतीक है. अंतिम और प्रफुल की कहानी हमें सिखाती है कि परिवार सिर्फ खून के रिश्तों से नहीं, बल्कि प्यार और समर्पण से बनता है. यह कहानी उन सभी भाई-बहनों के लिए एक प्रेरणा है, जो एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. प्रफुल की सफलता में, अंतिम की मेहनत और त्याग की गूंज आज भी सुनाई देती है.