अकाल मृत्यु से मुक्ति का उपाय, श्रीराम और रावण ने भी बनाए थे पार्थिव शिवलिंग

अकाल मृत्यु से मुक्ति का उपाय, श्रीराम और रावण ने भी बनाए थे पार्थिव शिवलिंग


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Khargone News: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी लंका पर चढ़ाई से पहले समुद्र तट पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर भोलेनाथ का पूजन किया था. वहीं भगवान शिव का परम भक्त रावण भी महादेव को प्रसन्न करने के लिए…और पढ़ें

खरगोन. सावन का महीना शिवभक्तों के लिए आस्था, भक्ति और शिव आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लोग पूजा, अभिषेक सहित कई जतन करते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन में कुछ ऐसा हुआ, जिसे देख हर कोई हैरान रह गया. यहां अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए एक साथ सैकड़ों लोगों ने लाखों पार्थिव शिवलिंग बनाए और मंत्रोच्चार के साथ उनका पंचामृत से अभिषेक किया. दरअसल यहां अनूठा आयोजन गुरुवार को शहर के पहाड़सिंह पूरा में बूढ़ा महादेव मंदिर में संपन्न हुआ. पंडित राम अत्रे के नेतृत्व में महिलाओं ने नदी की पवित्र मिट्टी से 1 लाख 84 हजार पार्थिव शिवलिंग बनाए. इन शिवलिंग का दूध, जल और पंचामृत से अभिषेक कर विधिवत पूजा की गई. फिर सभी पार्थिव शिवलिंग को शहर की जीवनदायिनी कुंदा नदी में प्रवाहित किया गया.

पंडित राम अत्रे ने लोकल 18 को बताया कि पार्थिव शिवलिंग का पूजन सावन मास में बेहद फलदायी होता है. शास्त्रों में भी वर्णन है कि पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. यही कारण है कि यह पूजा विशेष रूप से श्रावण मास में की जाती है.

श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम
पूरे आयोजन में श्रद्धा और भक्ति का ऐसा संगम देखने को मिला, जो आज के समय में दुर्लभ है. आयोजन में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था. महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी ने मिलकर मिट्टी से शिवलिंग बनाए. पूरा मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ के जयकारों गूंज उठा. भक्तों ने इसे सावन का सबसे अद्भुत दृश्य बताया और कहा कि यह आयोजन आगे भी हर साल किया जाना चाहिए.

भगवान श्रीराम और रावण ने भी बनाए थे पार्थिव शिवलिंग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी लंका पर चढ़ाई से पहले समुद्र तट पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का पूजन किया था. वहीं रावण, जो भगवान शिव का परम भक्त था, वह भी पार्थिव शिवलिंग का शिव को प्रसन्न करने के लिए अभिषेक करता था. इससे यह पूजा न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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