चोरी की भी हद है! शहीद के स्मारक से नकली बंदूक तक गायब कर दी…

चोरी की भी हद है! शहीद के स्मारक से नकली बंदूक तक गायब कर दी…


Last Updated:

Satna News: मनमोहन सिंह परिहार CRPF में पदस्थ थे. वह 11 मार्च 2014 को छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए थे. उनकी याद में उनके पैतृक गांव सेमरी में यह स्मारक बनाया गया, जहां हर साल स्वतंत्रता…और पढ़ें

सतना. मध्य प्रदेश के सतना जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने न केवल लोगों को चौंका दिया बल्कि देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं को भी झकझोर कर रख दिया है. नागौद ब्लॉक के ग्राम सेमरी में बने शहीद मनमोहन सिंह परिहार के स्मारक से 4 अगस्त की रात कुछ असामाजिक तत्वों ने प्रतीकात्मक बंदूक चोरी कर ली. यह बंदूक स्मारक का मुख्य हिस्सा थी और शहीद के बलिदान की निशानी के रूप में स्थापित की गई थी. शहीद की पत्नी श्यामा सिंह परिहार ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि यह घटना उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं है. उनकी आंखों में आंसू थे और शब्दों में एक विवश आक्रोश. उन्होंने कहा, ‘मेरे पति का बार-बार सिर मत काटो, आपके लिए वो बंदूक है लेकिन हमारे लिए वो सिर है.’ इससे पहले भी स्मारक के साथ तोड़फोड़ हो चुकी है लेकिन तब उन्होंने खुद पैसे लगाकर स्मारक की मरम्मत करवाई थी लेकिन इस बार उन्होंने साफ चेतावनी दी है की अगर स्मारक में वापस बंदूक नहीं लगी और दोषियों को सजा नहीं मिली, तो वह प्राण त्याग देंगी.

मनमोहन सिंह परिहार केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में पदस्थ थे. वह 11 मार्च 2014 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए थे. उनकी याद में उनके पैतृक गांव सेमरी में यह स्मारक बनाया गया था, जहां हर साल स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि दी जाती है. इस मामले में शहीद की पत्नी ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के पुलिस महानिरीक्षक नई दिल्ली को आवेदन भेजा है और मांग की है कि दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें कड़ी सजा दी जाए. उन्होंने कहा कि यह केवल चोरी नहीं बल्कि देश के लिए बलिदान देने वाले सपूत का अपमान है.

MP के 8 जिलों में बसाया जाएगा नया जंगल, सतना ने भेजा 5 करोड़ का प्लान, बाघ-गिद्धों का होगा संरक्षण

लाल कपड़े से ढका स्मारक
फिलहाल श्यामा सिंह ने स्मारक को लाल कपड़े से ढक दिया है. उनका कहना है कि वह उन पत्नियों में से नहीं, जो खाना-पीना, सोना करके जीवन बिताएं. वह अपने पति के सहारे आई थीं और उन्हीं की याद में वह जी रही हैं. अब अगर न्याय नहीं मिला तो उनकी लड़ाई यहीं खत्म होगी. गौरतलब है कि इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और समाज की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह है कि जब एक शहीद का स्मारक सुरक्षित नहीं है, तो हम किस समाज और सुरक्षा व्यवस्था की बात कर रहे हैं. श्यामा सिंह की अपील है कि समाज और प्रशासन शहीद स्मारकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए ताकि भविष्य में किसी भी वीर सपूत की शहादत का मजाक न बने.

homemadhya-pradesh

चोरी की भी हद है! शहीद के स्मारक से नकली बंदूक तक गायब कर दी…



Source link