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Loco Pilot Sleeping Facility: थकान की वजह से नींद आना आम बात है. नींद आने पर हम आरामदायक बिस्तर ढूंढते हैं लेकिन क्या कभी सोचा है अगर ट्रेन चलाते वक्त लोको पायलट को नींद आ जाए तो वो कहां सोते हैं. आइए जानते हैं…और पढ़ें
इसको लेकर सीनियर डीसीएम पद से रिटायर्ड हुए रेल अधिकारी एस के श्रीवास्तव ने लोकल 18 से बताया लोको पायलट सेफ्टी डिपार्टमेंट का होता है. जिसका रेलवे विशेष तौर पर ध्यान रखता है. स्वस्थ शरीर के लिए नींद जरूरी होती है, इसको लेकर लोको पायलट को आराम करने का भरपूर समय दिया जाता है क्योंकि जब लोको पायलट की सेफ्टी होगी, तब ही पैसेंजर्स सेफ होंगे. हालांकि इंजन में लोको पायलट के आराम करने की किसी तरह की सुविधा नहीं होती हैं.
उन्होंने बताया रोस्टर के अनुसार ड्राइवर प्रतिदिन 9 घंटे ट्रेन चलाते हैं. इससे ज्यादा लोको पायलट ट्रेन नहीं चलाते हैं, लोको पायलट के आराम करने के लिए रनिंग डिपो रूम बनाए जाते हैं. जिसमें AC रूम होते हैं. जहां लोको पायलट आराम किया करते हैं. उन्होंने बताया रनिंग डिपो रूम जबलपुर से चलने पर इटारसी, एनकेजे, बीना, सागर, इलाहाबाद सतना जैसे अन्य स्थानों पर बकायदा पूरी सुविधाएं होती हैं.
लाइब्रेरी, योगा, म्यूजिक से लेकर हर सुविधा का ख्याल
उन्होंने बताया लोको पायलट जिन रूम में ठहरते हैं, वहां बाकायदा व्यवस्थाएं की जाती है. लाइब्रेरी, योग से लेकर म्यूजिक तक की सुविधा होती हैं. जिससे लोको पायलट की नींद पूरी हो सके और जब दोबारा ड्यूटी में आए. तब 9 घंटे मन लगाकर ट्रेन चला सकें. हालांकि इस दौरान किसी तरह की परेशानी आती है, तब लोको पायलट अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे देते हैं. मतलब 9 घंटे ट्रेन चलाने के बाद शिफ्ट चेंज हो जाती है और लोको पायलट आराम किया करते हैं.