हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र से 50 परिवारों को मिल रहा रोजगार: मंडला के गौशाला में लहंगा, शेरवानी, साड़ी, कुर्ता जैसे परिधान बनाए जा रहे – Mandla News

हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र से 50 परिवारों को मिल रहा रोजगार:  मंडला के गौशाला में लहंगा, शेरवानी, साड़ी, कुर्ता जैसे परिधान बनाए जा रहे – Mandla News


हथकरघा केंद्र में साड़ी पर कढ़ाई कर लोग रोजगार कमा रहे हैं।

मंडला के दयोदय गौशाला आमानाला में स्थापित श्रमदान हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र से ग्रामीण जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। आचार्य विद्यासागर और आचार्य समयसागर महाराज के नेतृत्व में संचालित यह केंद्र 50 से अधिक परिवारों को स्थायी और सम्मानजनक रोजगार मिल र

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हथकरघा चलाकर रोजगार कमा रहे हैं ग्रामीण

आमानाला गांव पहले कच्ची शराब के उत्पादन के लिए जाना जाता था। लेकिन इस केंद्र की स्थापना के बाद यहां के लोगों ने अपनी जीवनशैली बदल ली है। अब ग्रामीण हथकरघा चला रहे हैं। वे शाकाहारी जीवन अपना चुके हैं और सामाजिक चेतना का एक नया उदाहरण बन रहे हैं।

युवाओं को फ्री ट्रेंनिग दे रहा है केंद्र

यह केंद्र ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निशुल्क प्रशिक्षण देता है। प्रशिक्षण काल में मानदेय और पौष्टिक भोजन भी दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें अपना उत्पादन कार्य शुरू करने के लिए निशुल्क हथकरघा भी दिया जाता है।

केंद्र की ओर से युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

12 से 20 हजार रुपए महीने कमा रहे परिवार

इस केंद्र में 36 हथकरघों पर काम चल रहा है। इससे हर परिवार औसतन 12 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रहा है। यहां लहंगा, शेरवानी, साड़ी, कुर्ता, शर्ट, जैकेट और गमछा जैसे परिधान बनाए जा रहे हैं। इन वस्त्रों पर जरदोजी जैसे विशिष्ट हस्तशिल्प का काम भी किया जाता है।

इन उत्पादों की मांग देश-विदेश में बढ़ रही है। पुणे, दिल्ली, मुंबई के साथ अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से भी ऑर्डर आ रहे हैं। इन वस्त्रों की बिक्री के लिए केंद्र परिसर में ही एक विक्रय केंद्र भी संचालित है। संस्था की वेबसाइट के माध्यम से इन उत्पादों को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है।

यह केंद्र भारत की सांस्कृतिक परंपरा, स्वावलंबन और सामाजिक सुधार का एक जीवंत उदाहरण बनकर उभर रहा है।

यह केंद्र भारत की सांस्कृतिक परंपरा, स्वावलंबन और सामाजिक सुधार का एक जीवंत उदाहरण बनकर उभर रहा है।



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