कजरी तीज 2025: व्रत रखने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, उज्जैन के पंडित ने बताया शुभ मुहुर्त और विधि

कजरी तीज 2025: व्रत रखने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, उज्जैन के पंडित ने बताया शुभ मुहुर्त और विधि


उज्जैन. हिंदू धर्म में हर तिथि व हर व्रत का अलग-अलग महत्व है. वैसे ही तीज का विशेष महत्व है. तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. कजरी तीज हर साल भाद्रपद या भादो महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि कजरी तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पारिवारिक जीवन सुखमय हो जाता है. आइए जानिए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से तिथि व पूजा महत्व.

कब रखा जाएगा कजरी तीज का व्रत?
इस बार कजरी तीज की तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 12 अगस्त को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, कजरी तीज 12 अगस्त 2025 को ही मनाया जाएगा.

कजरी तीज की पूजन सामग्री
कजरी तीज का व्रत रखने वालों को एक दिन पहले कुछ खास सामग्री की व्यवस्था कर लेनी चाहिए. इसकी पूजा में एक दीपक, घी, तेल, कपूर, अगरबत्ती, कच्चा सूता, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, भांग, धतूरा, दूर्वा घास, पीला वस्त्र, हल्दी, चंदन, श्रीफल, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद और पंचामृत जैसी सामग्री की आवश्यकता रहती है.

जानिए कजरी तीज का व्रत का महत्व
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार केजरी-तीज सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए मनाई थी. तभी से सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं. अविवाहित महिलाएं भी मनचाहा वर पाने के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं. माना जाता है कि यह व्रत वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, शिव को पति रूप में पाने के संकल्प के साथ मां पार्वती ने 108 साल तक तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. तभी से इसको कजरी तीज या कजली तीज के रूप में मनाया जाने लगा.



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