टीकमगढ़ में ब्राह्मण समाज ने मनाया श्रावणी पूर्णिमा पर्व: महेंद्र सागर तालाब पर स्नान के बाद बुंदेलखंड पीठाधीश्वर ने कराए विधिवत उपार्कम – Tikamgarh News

टीकमगढ़ में ब्राह्मण समाज ने मनाया श्रावणी पूर्णिमा पर्व:  महेंद्र सागर तालाब पर स्नान के बाद बुंदेलखंड पीठाधीश्वर ने कराए विधिवत उपार्कम – Tikamgarh News


ब्राह्मण समाज ने मनाया श्रावणी पूर्णिमा पर्व

टीकमगढ़ में रक्षाबंधन और श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर ब्राह्मण समाज ने श्रावणी उपार्कम का आयोजन किया। इस मौके पर बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज के साथ समाज के लोगों ने महेंद्र सागर तालाब में स्नान किया। इसके बाद विधि-विधान से श्रावणी उपा

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महंत सीताराम दास महाराज ने बताया कि यह कर्म कुंभ स्नान के दौरान भी होता है। यह आश्रम, जंगल या नदी के किनारे संपूर्ण किया जाता है। घर-परिवार से दूर संन्यासी जैसा जीवन जीकर इस कर्म को पूरा किया जाता है। यह कार्य यज्ञोपवीत धारण करने, बदलने या उपनयन संस्कार के लिए होता है।

श्रावण पूर्णिमा पर रक्षासूत्र बांधने, यज्ञोपवीत धारण करने और नदी स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत, दान, ऋषि पूजन, तर्पण और तप करने का भी विधान है।

शास्त्रों के अनुसार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को श्रावणी उपाकर्म प्रत्येक हिन्दू के लिए आवश्यक है। दसविधि स्नान से आत्मशुद्धि होती है और पितरों के तर्पण से उन्हें तृप्ति मिलती है।

यह पर्व वैदिक काल से शरीर, मन और इंद्रियों की पवित्रता का पुण्य पर्व माना जाता है। प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि इसी दिन से वेदों का पाठ शुरू करते थे। श्रावणी उपाकर्म में यज्ञोपवीत पूजन और उपनयन संस्कार का विधान है।

इसके लिए तीर्थ अवगाहन, दशस्नान और हेमाद्रि संकल्प किए जाते हैं। इस दिन पेड़-पौधे लगाने का भी विशेष महत्व होता है। वृक्षारोपण से अनंत गुना पुण्य प्राप्त होता है।

श्रावणी उपाकर्म में पाप-निवारण के लिए विभिन्न प्रतिज्ञाएं ली जाती हैं। इसके तीन प्रमुख पक्ष हैं – प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय।



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