स्वतंत्रता के 5 साल पहले ही अंग्रेजों को दे दी थी चेतावनी, आजादी से पहले आजाद हुआ था ये मंडल!

स्वतंत्रता के 5 साल पहले ही अंग्रेजों को दे दी थी चेतावनी, आजादी से पहले आजाद हुआ था ये मंडल!


दीपक पांडेय/खरगोन: भारत को आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी, लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन जिले का ऐतिहासिक नगर मंडलेश्वर 1942 में ही गुलामी की जंजीरें तोड़ चुका था. यहां के वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी अफसरों के सामने घंटाघर पर तिरंगा फहराया और आज़ादी का ऐलान कर दिया. यह घटना उस समय देशभर में फैल रहे ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की गूंज का हिस्सा थी. तब से हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को हजारों लोग झंडा चौक पर जुटते हैं और शान से तिरंगा फहराते हैं.

निमाड़ रेंज का मुख्यालय मंडलेश्वर

मंडलेश्वर जो उस समय निमाड़ रेंज का मुख्यालय हुआ करता था, 1942 में देशभक्ति की एक अनोखी मिसाल बना. स्वतंत्रता के पांच साल पहले ही यहां आजादी के दीवानों ने अंग्रेजी सत्ता को खुली चुनौती दे दी थी. जब पूरा देश भारत की आजादी का सपना देख रहा था, तब इन वीरों ने तिरंगा फहराकर खुद को आजाद घोषित कर दिया. यहां शुरू हुई तिरंगा फहराने की परंपरा 83 साल बाद भी उसी उत्साह के साथ निभाई जा रही है.

बंबई से मंडलेश्वर पहुंची विद्रोह की क्रांति

इतिहासकार दुर्गेश राजदीप बताते हैं कि, 8 अगस्त 1942 को मुंबई में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव पास होते ही देशभर में विद्रोह की लहर दौड़ गई. मंडलेश्वर भी इससे अछूता नहीं रहा. उस समय यहां के तीन नाथ, जिनमें बैजनाथ महोदय, विश्वनाथ खोड़े और काशीनाथ त्रिवेदी सहित 68 स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने के जुर्म में अंग्रेजों ने जेल में बंद कर दिया था. लेकिन जेल की सलाखें उनकी हिम्मत तोड़ नहीं सकी, बल्कि उनके हौसले को और मजबूत कर दिया.

सलाखें भी नहीं तोड़ पाई हिम्मत

इतिहासकार बताते हैं कि, 2 अक्टूबर 1942 को गांधी जयंती मनाने की अनुमति न मिलने पर जेल में बंद इन वीरों ने जेल तोड़ने का फैसला किया. सूरज ढलने के बाद शाम करीब 7 बजे 68 क्रांतिकारी सलाखें तोड़कर बाहर निकले, देशभक्ति के नारे लगाते हुए नगर के प्रमुख मार्गों से घंटाघाट चौक पहुंचे. यहां गांधीजी का जन्मदिन मनाया और फिर अगली सुबह घंटाघर चौक पर अंग्रेजी अफसरों के सामने तिरंगा फहरा दिया. आजादी की घोषणा कर दी. इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में आज़ादी की लहर तेज़ हो गई.

83 साल से जारी है परंपरा

उस दिन से झंडा चौक, जिसे आज महारानी लक्ष्मीबाई टावर भी कहा जाता है, यहां एक नई परंपरा की शुरुआत हुई. तब से यहां हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हजारों स्कूली बच्चे, नेता और नागरिक इकट्ठा होते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता द्वारा सुबह 7:45 बजे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है, राष्ट्रीय गान होता है और भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले 68 क्रांतिकारियों के हौसले को सलाम किया जाता है.



Source link