3 साल बाद भद्रा मुक्त रक्षाबंधन: सर्वार्थ सिद्धि योग में बहनें बांधेंगी रक्षा सूत्र, दिनभर रहेंगे अलग अलग मुहूर्तों में मनेगा त्योहार – Sagar News

3 साल बाद भद्रा मुक्त रक्षाबंधन:  सर्वार्थ सिद्धि योग में बहनें बांधेंगी रक्षा सूत्र, दिनभर रहेंगे अलग अलग मुहूर्तों में मनेगा त्योहार – Sagar News


देर रात तक बाजार में खरीददारी की गई।

श्रवण नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि और जय योग में रक्षाबंधन पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। सुबह से देर रात तक अलग-अलग मुहूर्तों में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी। 3 साल बाद इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है। वैसे यह पर्व श्रावणी पूर्णिमा

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परंपरागत रूप से इन दिनों के बीच रक्षा सूत्र कभी भी बंधवाया जा सकता है। त्योहार को लेकर सागर के मुख्य बाजार कटरा में ग्राहकों की भीड़ उमड़ी। देर रात तक बहनों ने राखी, रुमाल, मिठाई, फल, नारियल, पूजन सामग्री आदि की खरीदारी की।

बाजार में लोगों की भीड़ रक्षासूत्र बंधवाने के बाद अपनी बहनों को उपहार देने के लिए भाइयों ने कपड़े, मोबाइल, जेवर आदि की खरीदी की। इसके अलावा भगवान को चढ़ने वाली राखियां और पोशाकों की भी लोगों ने खरीदारी की। शोरूम से लेकर फुटपाथ तक की दुकानों पर भीड़ देखी गई। कटरा क्षेत्र की सड़कों पर दोपहर से देर रात तक भीड़ रही। कटरा और इतवारा बाजार में ग्राहकों की भीड़ के चलते शाम को चकराघाट से जैन मोराजी जाने वाले मार्ग पर कई बार दो पहिया और तीन पहिया वाहन जाम में फंसे रहे।

बहनों ने रूमाल और अन्य सामग्री खरीदी की।

दोपहर 12 बजे से शाम 4.30 बजे तक चर, लाभ और अमृत योग गृहस्थ संत केशव गिरी महाराज ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर सुबह से लेकर देर रात तक राखी बांधने के कई शुभ मुहूर्त हैं। जिसमें सुबह 6 बजे से 7.30 बजे तक लाभ योग, सुबह 7.30 बजे से 9 बजे तक शुभ चौघड़िया, दोपहर 12 बजे से शाम 4.30 बजे तक चर, लाभ व अमृत योग, रात 9 बजे से 10.30 बजे तक शुभ योग में राखी बांधना सुख-समृद्धि व आरोग्य देने वाला रहेगा। इसके अलावा सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक राहुकाल रहेगा। इसमें राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है।

पुजारी विद्वत संघ का श्रावणी स्नान पूर्णिमा पर आज पुरानी विद्वत संघ के पं. रामगोविंद शास्त्री ने बताया कि श्रावणी स्नान शनिवार को स्नान दान पूर्णिमा पर होगा। प्रत्येक ब्राह्मण के लिए यह स्नान अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, पवित्र जलाशयों पर जाकर इसमें 10 प्रकार के स्नानों का वर्णन किया गया। दूध, दही, शक्कर, घी, गोमूत्र, मिट्टी, भस्मी कुशा के जल से स्नान, सर्व सदी औषधी और नर्मदा या गंगाजल से स्नान किया जाता है। उन्होंने बताया कि ब्राह्मण साल भर समाज के कल्याण के लिए कार्य करते है। इस स्नान से नई ऊर्जा का संचार होता है और वह समाज कल्याण व जन कल्याण के कार्यों में यह ऊर्जा निष्पादित करता है।

बाजार में उमड़ी ग्राहकों की भीड़।

बाजार में उमड़ी ग्राहकों की भीड़।



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