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Paddy Farming Tips: इन दिनों ज्यादातर जगहों पर किसान खेतों में धान की रोपाई कर रहे हैं. ज्यादा उत्पादन के लिए उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं. कई बार ये दांव उल्टा पड़ जाता है, इसलिए…
किसान भाई रखें इस बात का ध्यान
लोकल 18 ने इसका फार्मूला समझने के लिए कृषि उपसंचालक फूल सिंह मालवीय से बात की. उन्होंने किसान भाइयों के लिए खास संदेश दिया है. उनका कहना है कि पौधे हो या इंसान उनके लिए संतुलित आहार का होना जरूरी है. ऐसे में किसान भाइयों को खेत में उर्वरक डालने से पहले भूमि की उर्वरा शक्ति जांचने के लिए मृदा परीक्षण करना चाहिए. इससे किसानों को उनके खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की सटीक जानकारी मिल सकती है. इसके बाद से भूमि के कितना उर्वरक डालना है इसका अंदाजा लग जाता है.
कृषि उपसंचालक फूल सिंह मालवीय ने बताया, धान को मुख्य तौर पर तीन पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है. इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम मुख्य है. वहीं, इनके अलावा जिंक भी धान के लिए बेहद जरूरी है.
इस रेश्यू से डालें खेत में उर्वरक
धान की फसल के तैयार होने के आधार पर पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में 60 दिन में पकने वाली किस्मों के लिए 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस 20 से 30 किलोग्राम और पोटाश की 15 से 20 किलोग्राम की आवश्यकता होती है. देर से पकने वाली किस्मों में करीब 100 से 120 किलोग्राम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है. वहीं, फास्फोरस 50 से 60 किलोग्राम की जरूरत होती है. वहीं, पोटेशियम की बात करें तो वह 30 से 40 किलोग्राम की जरूरत पड़ेगी. इसके साथ जिंक सल्फेट 20 से 25 किलोग्राम खेतों में देना चाहिए.
ऐसे करें उर्वरकों का छिड़काव
नाइट्रोजन का आधा हिस्सा खेत की तैयारी के समय होना चाहिए. वहीं, बाकी हिस्से को दो बार में देना चाहिए. दूसरा डोज कल्ले निकलने की अवस्था में दे सकते हैं. वहीं, तीसरा डोज बाली निकलने के समय देना चाहिए, जिसे हम गबोट अवस्था कहते हैं.