महिलाओं ने मोतीसागर तालाब में भुजरिया का विसर्जन किया।
आगर मालवा में रविवार को भुजरिया पर्व उत्साह और पारंपरिक रीतिरिवाजों के साथ मनाया गया। छावनी मार्केट मोहल्ला और भोई मोहल्ला सहित कई स्थानों पर पूजन-अर्चन के बाद शोभायात्राएं निकाली गईं।
.
इन शोभायात्राओं में शामिल पुरुष मंडलियां पारंपरिक डंडे लड़ाते हुए नाचते-गाते मोतीसागर तालाब पहुंचीं। वहां देर शाम जवारों का विसर्जन किया गया। इसके बाद लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर शुभकामनाएं दीं।
पर्व को लेकर ये है मान्यता
भुजरिया पर्व को स्थानीय रूप से कजलिया पर्व भी कहा जाता है। यह सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के अगले दिन भाद्रपद मास की प्रतिपदा को मनाया जाता है। सचिन बॉथम के अनुसार इसकी शुरुआत रक्षाबंधन से लगभग एक सप्ताह पहले होती है।
डीजे की धुन पर महिलाओं ने डांस किया।
इस दौरान महिलाएं मिट्टी से भरे पात्र में गेहूं बोती हैं। कुछ दिनों में गेहूं के पौधे उग आते हैं, जिन्हें भुजरिया कहा जाता है। पर्व के दिन इन पौधों की पूजा कर भगवान से अच्छे मौसम और भरपूर बारिश की प्रार्थना की जाती है।