सही ITR फॉर्म का चयन सबसे पहला कदम
सीए सुमित जैन के अनुसार, सबसे पहले यह तय करना ज़रूरी है कि आपके लिए सही ITR फॉर्म कौन सा है. ITR-1, ITR-2, ITR-3 और ITR-4 में से किसका चयन करना है, यह आपकी आय के स्रोत पर निर्भर करता है.
वेतनभोगी व्यक्ति आमतौर पर ITR-1 या ITR-2 में आते हैं, लेकिन अगर आपके पास वेतन के अलावा अन्य स्रोतों से भी आय है, तो उस हिसाब से सही फॉर्म का चुनाव करना होगा.गलत फॉर्म का चयन करने पर आपको अतिरिक्त टैक्स लायबिलिटी और पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है.
सरकार ने टैक्स भरने के लिए दो विकल्प दिए हैं — ओल्ड टैक्स रिजीम और न्यू टैक्स रिजीम.सीए जैन का सुझाव है कि ITR भरने से पहले दोनों विकल्पों में अपनी टैक्स लायबिलिटी की तुलना ज़रूर करें.
हो सकता है, ओल्ड रिजीम में आपकी टैक्स देनदारी ज़्यादा हो और न्यू रिजीम में कम, या इसके उलट.
इस तुलना से आपको पता चल जाएगा कि कौन सा विकल्प आपके लिए ज्यादा फायदेमंद है.यह पूरी तरह कानूनी तरीका है और इसमें टैक्स चोरी या नियमों का उल्लंघन नहीं होता.
न्यू टैक्स रिजीम में डिडक्शन का अभाव
सीए जैन ने एक महत्वपूर्ण चेतावनी दी — अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुनते हैं, तो आपको पारंपरिक टैक्स सेविंग स्कीम्स (जैसे LIC, PPF, ELSS आदि) में निवेश पर कोई डिडक्शन नहीं मिलेगा.
कई लोग इन स्कीम्स में निवेश सिर्फ टैक्स बचाने के लिए करते हैं, लेकिन न्यू रिजीम में इसका कोई फायदा नहीं होता.
ऐसे में आपके निवेश का रिटर्न भी कम हो सकता है. इसलिए, अगर आप न्यू रिजीम अपना रहे हैं, तो निवेश का उद्देश्य सिर्फ बेहतर रिटर्न होना चाहिए, न कि टैक्स सेविंग.
अक्सर लोग टैक्स बचाने के लिए ऐसे निवेश करते हैं, जिनका रिटर्न 5-6% सालाना से भी कम होता है. सीए जैन का कहना है कि अगर आप न्यू रिजीम में हैं, तो ऐसी स्कीम्स में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है.
बेहतर होगा कि आप म्यूचुअल फंड, शेयर मार्केट या अन्य उच्च रिटर्न वाले विकल्पों पर विचार करें (जो आपके रिस्क प्रोफाइल के अनुकूल हों).
भविष्य के लिए योजना बनाएं
सीए जैन ने कहा कि टैक्स प्लानिंग सिर्फ ITR भरने से एक-दो महीने पहले नहीं, बल्कि पूरे साल की जानी चाहिए. इससे आप सही निवेश चुनकर टैक्स बचत और बेहतर रिटर्न दोनों पा सकते हैं.
इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं. सही ITR फॉर्म का चयन, ओल्ड और न्यू रिजीम की तुलना, और निवेश की समझदारी से योजना — ये तीन बातें अपनाकर आप न सिर्फ टैक्स बचा सकते हैं, बल्कि लंबे समय में अपनी वित्तीय स्थिति भी मजबूत कर सकते हैं.