खंडवा में जलसंकट पर हाईकोर्ट में याचिका: निगम अधिकारी पर याचिकाकर्ता को धमकाने का आरोप; फोन कर कहा- केस वापस लो – Khandwa News

खंडवा में जलसंकट पर हाईकोर्ट में याचिका:  निगम अधिकारी पर याचिकाकर्ता को धमकाने का आरोप; फोन कर कहा- केस वापस लो – Khandwa News



बुजुर्ग ने निगम अधिकारी को साइन देने से मना कर दिया।

खंडवा शहर के कृत्रिम जलसंकट के मामले में हाईकोर्ट याचिका दायर करने वाली सोशल वर्कर अनिता धोत्रे को धमकाने का मामला सामने आया है। आरोप है कि निगम के पेयजल अधिकारी इंदर चंद मंडलोई ने फोन कर कहा कि- केस वापस ले लो, हमने आपकी तो व्यवस्था कर दी है। धोत्रे

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अनिता धोत्रे का आरोप है कि रविवार को छुट्टी होने के बाद भी इंदर चंद मंडलोई सुबह 8 बजे अनिता धोत्रे के रवींद्रनाथ टैगोर वार्ड स्थित उनके मोहल्ले में गए। दबाव बनाकर लोगों से झूठे पंचनामे पर साइन करवा लिए गए है। निगम अफसर ने सरकारी राशन दुकान के एक संचालक और घर में फैक्ट्री चलाने वाले एक व्यापारी से पंचनामे पर हस्ताक्षर करवाए हैं। हालांकि, एक बुजुर्ग ने साइन करने से मना कर दिया।

धोत्रे के पड़ोसी प्रकाशचंद लालवानी ने बताया कि 8-8 दिन नल नहीं आता है, मैं झूठी गवाही देकर क्यों साइन करूं। दरअसल, याचिकाकर्ता के मोहल्ले के रहवासियों ने साइन कराकर नगर निगम इस पंचनामे को हाईकोर्ट में प्रस्तुत कर केस खारिज कराना चाहता है।

याचिकाकर्ता को कमिश्नर बंगले से दिया कनेक्शन

अनिता धोत्रे ने बताया कि जब हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई तो कोर्ट ने इसे स्वीकार किया और कलेक्टर-कमिश्नर को नोटिस जारी कर दिए। आनन-फानन में निगम के अधिकारी धोत्रे के घर पहुंचे और उनके घर से थोड़ी दूरी पर स्थित निगम कमिश्नर के बंगले से उन्हें कनेक्शन दे दिया। कमिश्नर बंगले पर लगे बोरवेल से कनेक्शन करने के बाद अनिता धोत्रे को रोजाना साफ-सुथरा पानी मिलने लगा।

फिर निगम अधिकारियों ने धोत्रे से कहा कि अब केस वापस ले लो। आपकी समस्या का निराकरण हमने कर दिया है। लेकिन, उन्होंने निगम अधिकारियों से कहा कि, समस्या पूरे शहर की है। मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूं कि याचिका वापस ले लूंगी। कानूनी लड़ाई में इतना पैसा खर्च करने की बजाय मैं उन पैसों में खुद का बोरिंग भी करा सकती थी।

कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट में 6 महीने की सजा का प्रावधान

अनिता धोत्रे के मुताबिक, कोर्ट के निर्देश के बाद भी कलेक्टर और निगम कमिश्नर ने शहर में पेजयल व्यवस्था में सुधार नहीं कराया है। हर तीसरे दिन पाइपलाइन फूट जाती है। टैंकर से पानी सप्लाई के नाम पर गंदा पानी बांटा जाता है, जो स्नान के लायक भी नहीं है।

हम दोबारा कोर्ट के समक्ष गए, हाईकोर्ट ने कलेक्टर और कमिश्नर को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट का नोटिस जारी किया है। इसमें 6-6 महीने की सजा का प्रावधान है। अब प्रशासन केस खारिज कराने के लिए प्रयास कर रहा है। मुझ पर केस को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।



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