गौरी तालाब पर भुजरिया विसर्जन करते हुए।
भिंड में रविवार की शाम गौरी तालाब पर ऐतिहासिक भुजरिया मेला में शहर वासी परंपराओं के रंग में सराबोर नजर आए। यहां रक्षाबंधन के दूसरे दिन पारंपरिक रूप से आयोजित होने वाला भुजरियां मेला इस बार भी उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। शहर और आसपास के क्षेत्रों
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महिलाओं और बच्चियों ने मटकों में सजाई गई भुजरियों का विधिवत विसर्जन किया, वहीं मेले की रौनक झूला सेक्टर और खानपान स्टालों पर चरम पर दिखी।
सुरक्षा के साए में मना पारंपरिक पर्व रक्षाबंधन के अगले दिन जिलेभर के तालाबों और नदियों पर भुजरियों का विसर्जन करने की परंपरा है। इसी कड़ी में गौरी तालाब पर शाम ढलते ही भीड़ उमड़ने लगी। किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए जिला प्रशासन और पुलिस महकमा पूरी तरह सतर्क रहा।
सरोवर किनारे गोताखोर तैनात किए गए थे, जबकि सुरक्षा बल लगातार भीड़ पर नजर बनाए हुए थे। ट्रैफिक पुलिस ने भी रास्तों को सुचारू रखने के लिए विशेष इंतजाम किए।
महिलाएं और बच्चे भुजरिया लेकर पहुंचे तालाब पर।
मेले में खरीदारी और स्वाद का लुत्फ गौरी तालाब के चारों ओर लगी अस्थायी दुकानों पर दिनभर ग्राहकों की भीड़ लगी रही। महिलाओं ने पारंपरिक सजावटी सामान, बर्तनों और खिलौनों की जमकर खरीदारी की। खानपान के स्टालों पर चाट, पकौड़ी, गोलगप्पे और कुल्फी का स्वाद लेने वालों की कतारें लगी रहीं। झूला सेक्टर में बच्चों की खिलखिलाहट देर रात तक गूंजती रही।
इस बार मेले में युवाओं का उत्साह भी देखते ही बनता था। भुजरियों के विसर्जन के साथ युवक-युवतियां झील किनारे और झूला सेक्टर में सेल्फी लेते नजर आए। कई लोग पारंपरिक पोशाक में अपने दोस्तों और परिवार के साथ फोटो खिंचवाते रहे, जिन्हें तुरंत सोशल मीडिया पर साझा किया गया।
देर रात तक जगमगाता रहा मेला देर रात तक गौरी सरोवर पर चहल-पहल बनी रही। रंग-बिरंगी लाइटों से सजे झूले, दुकानों की रौनक और लोगों के चेहरों पर खुशी इस पारंपरिक मेले की पहचान बनी रही। भुजरियां मेला एक बार फिर साबित कर गया कि भिंड शहर की यह सांस्कृतिक धरोहर लोगों के दिलों में कितनी गहराई से बसी हुई है।

एक दूजे को भुजरिया देकर रक्षा बंधन पर्व की दी बधाइयां।।