धान की फसल में नाइट्रोजन कब और कैसे डालें? जानिए कृषि विशेषज्ञ की जरूरी सलाह, वरना होगा लाखों का नुकसान

धान की फसल में नाइट्रोजन कब और कैसे डालें? जानिए कृषि विशेषज्ञ की जरूरी सलाह, वरना होगा लाखों का नुकसान


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Dhan Ki Kheti: धान की फसल में नाइट्रोजन का सही उपयोग पैदावार बढ़ा सकता है, जबकि गलत तरीके से डालने पर नुकसान हो सकता है. आज हम आपको इसपर एक्सपर्ट की राय बताने जा रहे हैं.

धान की खेती. नाइट्रोजन वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली गैस है. इसकी सही मात्रा पौधे की प्रजाति, मिट्टी का प्रकार, जलवायु और अन्य कारकों पर निर्भर करती है. अधिक या कम नाइट्रोजन दोनों ही धान के पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

नाइट्रोजन की सही मात्रा मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और फसल की किस्म पर निर्भर करती है. आम तौर पर, धान की फसल में प्रति हेक्टेयर 100 से 120 किलोग्राम यूरिया डालना पर्याप्त होता है. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि किसान मृदा परीक्षण करने के बाद उर्वरकों की मात्रा निर्धारित करें, तो किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

रोपाई के एक सप्ताह बाद पहली बार नाइट्रोजन डालना चाहिए. यह पौधों को जड़ें जमाने और शुरुआती विकास के लिए मदद करता है. जब धान में कल्ले निकलने लगते हैं, उस समय दूसरी बार नाइट्रोजन डालना चाहिए. यह कल्लों की संख्या और दाने के आकार को बढ़ाने में मदद करता है.

नाइट्रोजन प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक है, जो पौधे के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन नाइट्रोजन की अधिकता भी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है. अधिक नाइट्रोजन से पत्तियां पीली पड़ सकती हैं और किनारे से जल सकती हैं. अधिक नाइट्रोजन मिट्टी की उर्वरता को कम कर सकता है. अधिक नाइट्रोजन पानी में मिलकर प्रदूषण का कारण बन सकता है.

धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद पर्याप्त नमी रहती नाइट्रोजन का इस्तेमाल करना चाहिए. खेत में नमी इतनी हो कि किसान का पैर खेत में हल्का सा गड़ता रहे. फसल में नाइट्रोजन देते समय, समय का ध्यान भी रखें. नाइट्रोजन सुबह या फिर शाम के वक्त दें, तेज धूप में नाइट्रोजन बिल्कुल भी ना दें. तेज धूप में तापमान ज्यादा होने की वजह से नाइट्रोजन उड़ कर वायुमंडल में चली जाती है.

वहीं खेत में पानी भरा होने की स्थिति में भी नाइट्रोजन का छिड़काव बिल्कुल ना करें क्योंकि पानी भरा होने की वजह से नाइट्रोजन फूल कर पौधे की जड़ों से नीचे चली जाती है. जिस पौधे ग्रहण नहीं कर पाते और बहुत सी नाइट्रोजन पानी में घुलने के बाद वाष्पित होकर वायुमंडल में चली जाती है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

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