दरअसल, मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग ने मैहर जिले के आनंदगढ़, आमिन, धोबहट, मुकुंदपुर, परसिया और पपरा को रीवा जिले में मिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी है. इसमें मुकुंदपुर का महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि यहीं स्थित है व्हाइट टाइगर सफारी और टाइगर रिजर्व, जो न केवल मैहर की पहचान है, बल्कि जिले की अर्थव्यवस्था में पर्यटन से होने वाली आय का बड़ा स्रोत भी है. इसको लेकर राजनीतिक अखाड़ा सज गया है. इसका घमासान से भोपाल ही नहीं दिल्ली तक आवाजें गूंज रही हैं.
छह ग्राम पंचायतों को रीवा जिले में शामिल करने का प्रस्ताव
दरअसल, 9 जुलाई को आयोग ने इस संबंध में दो पत्र जारी किए. पहला पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त एक आवेदन के आधार पर था, जिसमें इन छह ग्राम पंचायतों को रीवा जिले में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया. दूसरा पत्र ग्राम पंचायत मुकुंदपुर की आपत्ति से जुड़ा था, जिसमें ग्राम सभा ने साफ लिखा कि मुकुंदपुर का आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व मैहर से गहराई से जुड़ा है और इसे अलग करना स्थानीय जनता के हित में नहीं होगा. लेकिन क्या ग्राम सभा के प्रस्ताव की सुनवाई भी हो सकेगी यह सवाल बाकी है.
यह मामला सामने आते ही सियासत में हलचल मच गई. कांग्रेस के अमरपाटन विधायक राजेंद्र कुमार सिंह ने इसे “किसी भी कीमत पर न होने देने” की चेतावनी दी. पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने तो सीधे-सीधे डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला पर “मैहर की पहचान छीनने की साजिश” का आरोप लगाया. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने भी इस प्रस्ताव का विरोध कर अपने ही दल की सरकार के लिए असहज स्थिति बना दी है.
सूत्र बताते हैं कि मुकुंदपुर को रीवा में शामिल करने के पीछे तर्क उसकी भौगोलिक निकटता का है. टाइगर रिजर्व का मुख्य प्रवेश द्वार रीवा शहर से ज्यादा नजदीक है, जबकि मैहर से दूरी अधिक है. लेकिन स्थानीय नेताओं और नागरिकों का कहना है कि इस तर्क के पीछे राजनीतिक मंशा ज्यादा है, क्योंकि पर्यटन से होने वाली आमदनी और रोजगार सीधे मैहर को मिलता है. प्रस्ताव मंजूर होने पर होटल व्यवसाय, स्थानीय गाइड, हस्तशिल्प विक्रेता और परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी.
सारी निगाहें कलेक्टर और एसडीएम की रिपोर्ट पर
अब सारी निगाहें कलेक्टर और एसडीएम की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसे आयोग को भेजा जाएगा. अंतिम सिफारिश तय करेगी कि मुकुंदपुर और बाकी ग्राम पंचायतें मैहर जिले में रहेंगी या रीवा का हिस्सा बन जाएंगी. तब तक, यह विवाद विंध्य की राजनीति में केंद्र बिंदु बना रहेगा और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला पर लगे आरोप और तीखे होते जाएंगे.