सावन में रक्षाबंधन के ठीक एक दिन बाद मुरैना जिले में पारंपरिक भुंजरिया सिराने का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह त्योहार गंदगी और अव्यवस्था के बीच मनाना लोगों की मजबूरी बन गया है।
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भुंजरिया विसर्जन के लिए हर साल बड़ोखर स्थित इंदिरा तालाब पर भव्य मेला लगता है, जिसकी जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। परंपरा के अनुसार, सावन में मिट्टी के पात्र में गेहूं बोकर उपजाए गए “भुंजरिये” तालाब या नदी में सिराए (विसर्जित) जाते हैं, और यह एक लोक आस्था से जुड़ा प्रमुख पर्व है।
सफाई नहीं, मेला गंदगी में
इस बार नगर निगम की लापरवाही के चलते तालाब की समय पर सफाई नहीं कराई गई, जिससे श्रद्धालुओं में नाराजगी और आक्रोश देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व के दिन तालाब की यह हालत बेहद शर्मनाक है।
स्थानीय निवासी सतीश शर्मा और रजनी शर्मा ने बताया-
हम वर्षों से देखते आए हैं कि भुंजरिया विसर्जन के दिन तालाब किनारे मेला लगता है, लेकिन इस बार हालात बहुत खराब हैं। नगर निगम को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी, अब श्रद्धालुओं को गंदगी में विसर्जन करना पड़ेगा।
नगर निगम कमिश्नर का जवाब
इस पूरे मामले पर नगर निगम कमिश्नर सतेंद्र धाकरे ने कहा,
“बड़ोखर तालाब में भुंजरियों के सिराने की परंपरा लंबे समय से है। सफाई कराई जा चुकी है, लेकिन यदि कुछ रह गया है तो मैं खुद जाकर निरीक्षण करूंगा और तत्काल सफाई करवाई जाएगी। मेला दोपहर से शुरू होना है, तब तक व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी।”
सांस्कृतिक आस्था पर असर
लोगों ने बताया कि भुंजरिया पर्व न सिर्फ एक पारंपरिक रीति है, बल्कि बेटियों और भाई-बहन के रिश्ते की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति भी है। इस पर्व में बेटियां भुंजरिया सिराकर बड़ों से आशीर्वाद लेती हैं, और बड़े उन्हें उपहार देते हैं। इस आयोजन में शहरभर के परिवार शामिल होते हैं।