सत्येंद्र को 7 अगस्त को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था।
सिवनी जिले के 31 साल के सत्येंद्र यादव सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों ने 7 अगस्त को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों को अंगदान करने की सलाह दी
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सत्येंद्र का हार्ट इराक की रहने वाली मेडिकल छात्रा नूर को लगाया गया है। अहमदाबाद के एक अस्पताल में सफल हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। नूर पिछले दो साल से दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। इराक में दिल नहीं मिलने के बाद उसने गुजरात स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (SOTTO) में रजिस्ट्रेशन करवाया था। अब सत्येंद्र का दिल लगने के बाद नूर भी सामान्य जिंदगी जी सकती है।
सत्येंद्र का लिवर भोपाल में भर्ती एक मरीज को लगाया गया, जबकि एक किडनी जबलपुर के मरीज को ट्रांसप्लांट की गई।
डॉक्टरों की टीम आर्गन को एम्बुलेंस में रखते हुए।
अब सवाल उठता है कि भारतीय मरीजों की जरूरत के बीच विदेशी नागरिक को अंग कैसे मिला?
दरअसल, नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) अंगदान के बाद अंगों का आवंटन एक तय सूची के हिसाब से करता है। सत्येंद्र का हार्ट जबलपुर में उपलब्ध हुआ था, लेकिन मध्यप्रदेश में उस वक्त कोई जरूरतमंद मरीज नहीं था। ऐसे में तय प्रक्रिया के तहत यह अंग गुजरात को आवंटित किया गया। वहां भी कोई भारतीय मरीज न मिलने पर विशेष अनुमति लेकर हार्ट नूर को ट्रांसप्लांट किया गया।