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Jabalpur News: प्रतीक कुमार तिवारी ने लोकल 18 से कहा कि 600 से 800 रुपये में मछली के 1000 बीज बाजार में आसानी से मिल जाते हैं. हालांकि यह मछली के साइज पर निर्भर करता है. इस तरह आसानी से 6 माह में आधा एकड़ तालाब…और पढ़ें
मध्य प्रदेश के जबलपुर के नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट प्रतीक कुमार तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि सबसे पहले तालाब का बेहतर चयन करना होता है. तालाब की अच्छी तरह से गर्मी के मौसम में सफाई कर लें, जिससे बरसात के मौसम में स्वच्छ जल तालाब में भर सके. इतना ही नहीं, तालाब में पानी की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. एक्सपर्ट से राय जरुर ले लें क्योंकि तालाब का पानी साफ नहीं रहेगा, तो मछलियां अपना जीवनयापन सही तरीके से नहीं कर पाएंगी.
कैसा होना चाहिए मछली के बीज का आकार?
उन्होंने कहा कि मछली के बीज का आकार बड़ा होना चाहिए क्योंकि मछली के बीज जितने बड़े होंगे, मछली के मरने की गुंजाइश उतनी ही कम होगी. छोटे बीज होने पर मछलियों के मरने की संभावना बढ़ जाती है. इसकी मृत्यु दर भी ज्यादा होती है, इसलिए उंगली आकार की मछली होनी चाहिए, जिसे फिंगर लिंग मछलियां कहते हैं. मत्स्य पालन के दौरान सबसे अहम मछली का चयन करना ही होता है.
उन्होंने आगे कहा कि आधे एकड़ के खेत में करीब 25 से 30 हजार मछलियों की जरूरत होती है. यदि फिंगर लिंग मछलियां तालाब में डाली जाएं, तब 6 महीने में करीब एक किलोग्राम तक की मछलियां हो जाती हैं. भारतीय प्रजाति की रोहू, कतला और मैगल सबसे बेहतर होती हैं. इनका पालन आसानी से किया जा सकता है. इसके बीज भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.
600 रुपये से 800 रुपये तक मिल जाते हैं बीज
प्रतीक कुमार तिवारी ने कहा कि 600 से 800 रुपये की कीमत पर 1000 मछली के बीज मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं. हालांकि यह मछली के आकार पर निर्भर करता है. इस तरह आसानी से 6 महीने में आधा एकड़ के तालाब से तीन लाख रुपये से अधिक कमाए जा सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण तालाब का ध्यान रखना होता है. ध्यान देना होता है कि किसी व्यक्ति द्वारा तालाब में जहर न डाला जाए. मछली के आहार पर भी फोकस रखना चाहिए. एक्स्ट्रा बेनिफिट के लिए भारत सरकार की कई योजनाएं भी हैं, जहां सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी भी देती है.