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Satna Central Jail Rakshabandhan: रक्षाबंधन के मौके पर सतना केंद्रीय जेल में भावुक नज़ारे देखने को मिले, जहां साल में एक दिन भाई-बहन का प्यार सलाखों के बीच भी खिल उठता है. वहीं..
कैदियों ने साझा की दास्तान
धारा 498 और 304 में सज़ा काट रहे अरुण केशरवानी ने लोकल 18 से बताया कि इस दिन जेल के माहौल में भी खुशी और भावुकता दोनों होती है. दस साल से यहां रहते हुए अब उन्हें इस पल की आदत सी हो गई है, लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अलग ही चमक थी. क्योंकि, वह 26 जनवरी को जेल से रिहा होने वाले हैं. उनकी छोटी बहन नीलम ने कहा, दुख तो सालों से है, लेकिन रिहाई की खबर ने इस रक्षाबंधन को खास बना दिया है. बड़ी बहन बबली गुप्ता का कहना था कि राखी का दिन ही भाई-बहनों के बीच खुशियां लाता है.
अपने भाइयों को राखी बांधने आई बहन ने भावुक होकर कहा, उनके भाई निर्दोष हैं. अगर उन्होंने कुछ गलत किया होता तो उतना दुख नहीं होता, पर बिना अपराध के जेल में होना हमारे लिए सबसे बड़ी पीड़ा है. उन्होंने कहा, हमारे परिवार से जेल में दो भाई हैं और इस दिन सभी बहनें दोनों को राखी बांधने जेल आती हैं. वहीं, भाई विजय सिंह ने बताया कि उन्हें यहां चार साल चार महीने हो चुके हैं. हर साल उनके परिवार के 7-8 लोग राखी बांधने आते हैं. बहनों को देखकर मन हल्का हो जाता है, लेकिन सामने आने पर दिल की बातें जुबान तक नहीं आ पातीं. कहा कि दिमाग इतना उलझा रहता है कि दिल में जो बातें होती हैं वो भी बोल नहीं पाते. उनकी मां यशोदा सिंह ने बताया कि बेटों से मिलना दिल को सुकून देता है, लेकिन अंदर ही अंदर दर्द हमेशा बना रहता है.
18 साल की सज़ा और 12 राखियां
धारा 302, 376 और 201 में 18 साल से जेल में बंद दुक्कन वर्मा ने बताया, अब तक उन्होंने 12 रक्षाबंधन जेल में बिताए हैं. पन्ना से आई उनकी बहन ने कहा, वह 12 वर्षों से भाई को राखी बांधने आ रही हैं. कोई बहन यहां खुशी से नहीं आती, बस भाई के लिए दुख दिल में दबाकर आती है. कैदी की मां राजा बाई ने कहा कि ये उनका एकलौता बेटा है और जिस दिन से वह यहां आया है, उनकी आत्मा को सुकून नहीं है. बस एक आस है कि वो जल्द लौट आए.
जेल प्रशासन की सख्त तैयारी
जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने लोकल 18 से बताया कि रक्षाबंधन के अवसर पर जेल में बंदियों से मिलने के लिए आने वाली बहनों का पहले रजिस्ट्रेशन किया गया. तलाशी और कड़ी सुरक्षा के बाद ही उन्हें क्रम से अंदर भेजा गया. जेल कैंटीन से ही राखी, रूमाल, फल और मिठाई उपलब्ध कराई गई. बाहर से कोई सामान लाने की अनुमति नहीं थी. दोपहर 2 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार 806 बंदियों को 2067 बहनों और परिजनों ने राखी बांध दी थी.