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Tulsi ki Kheti: एमपी के खंडवा की महिलाएं तुलसी की खेती कर पत्ते और बीज विदेश भेज रही हैं. जैविक खेती से सालभर कमाई और आत्मनिर्भरता की मिसाल.
खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के एक छोटे से गांव जलकुआ में महिलाएं आज अपनी मेहनत और सोच से पूरी दुनिया में नाम कमा रही हैं. यह कहानी जय अंबे स्वयं सहायता समूह की है, जहां महिलाओं ने पारंपरिक खेती छोड़कर तुलसी की व्यावसायिक खेती शुरू की और अब उनकी तुलसी के पत्ते और बीज यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों तक पहुंच रहे हैं.
तुलसी की पत्तियां और बीज आयुर्वेदिक दवाओं, हर्बल प्रोडक्ट्स और नेचुरल इत्र बनाने में इस्तेमाल होते हैं. कटाई के बाद पत्तियों को सुखाकर पैक किया जाता है, जबकि बीज को अलग से तैयार करके मार्केट में भेजा जाता है. इन महिलाओं के पास औषधीय कंपनियों और निर्यातकों से सीधा संपर्क है, जिससे उन्हें उचित दाम मिलते हैं.
विदेशों में इस तुलसी की मांग इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वहां हर्बल और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का ट्रेंड बढ़ रहा है. खंडवा की तुलसी अब भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी अलग पहचान बना चुकी है.