छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है।
मऊगंज जिले के प्रजापति समाज के लोगों को मैपिंग में उनकी जाति को सूची से हटा दिया गया है। इससे इन्हें जाति प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है।
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जिला मुख्यालय से इटौरा गांव 30 किलोमीटर दूर है। यहां पर कुम्हार समुदाय के 15-20 परिवार रहते हैं। ये लोग खेती-बाड़ी के साथ अपना पारंपरिक काम मटके-गमले और मूर्तियां बनाने का काम करते हैं।
गांव के रामजी प्रजापति बताते हैं कि मेरे पास खेती नहीं है। मैं अपने परिवार का भरण-पोषण पुश्तैनी कामकाज से होने वाली आमदनी से करता हूं। मेरे दो बच्चे हैं। बेटा उत्कृष्ट विद्यालय नईगढ़ी में 11वीं कक्षा में पढ़ता है। बेटी 9वीं कक्षा में पढ़ रही है।
लोग बोले- बच्चों के जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे
रामजी के अनुसार, परेशानी तब शुरू हुई जब मऊगंज रीवा से अलग होकर नया जिला बना। अब बच्चों के जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे हैं। एक साल से हम सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
जब हम लोक सेवा केंद्र जाते हैं, तो वहां के कर्मचारी बताते हैं कि पोर्टल पर आपकी जाति दर्ज नहीं है। इस कारण प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सकता।
जाति प्रमाणपत्र नहीं होने से एडमिशन नहीं हो रहे
शिवराजपुर गांव की रोहिणी प्रजापति कहती हैं कि हम लोग पुरखों के जमाने से अपना पारंपरिक काम कर रहे हैं। मेरी बेटी 12वीं और बेटा 5वीं कक्षा में हैं। लेकिन जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहा है।
श्यामलाल प्रजापति ने बताया कि गांव के स्कूल में मेरे परिवार के चार बच्चों का एडमिशन सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इनके पास जाति प्रमाण पत्र नहीं है।
मऊगंज जिले की मैपिंग बाद पोर्टल से जाति हटाई
कुम्हार (प्रजापति) जाति रीवा जिले में एससी श्रेणी में दर्ज है। लेकिन मऊगंज जिले की मैपिंग के बाद इस जाति को सूची से हटा दिया गया है। इसी कारण जाति प्रमाण पत्र बनवाने में समस्या आ रही है।
कुम्हार ने महासंघ जताई नाराजगी
अखिल भारतीय प्रजापति कुम्हार महासंघ इकाई मऊगंज जिला के अध्यक्ष राममिलन प्रजापति कहते हैं कि सरकार की गलती की वजह से हमारे समाज के बच्चे परेशान हो रहे हैं। जिले में लगभग 50 हजार प्रजापति समाज के लोग निवास करते हैं, जिनमें लगभग 10 हजार विद्यार्थी प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अध्ययनरत हैं।
प्रमाण पत्र न बनने के कारण वे शिक्षा के विभिन्न अवसरों से वंचित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 5 हजार स्नातक युवा भी जाति प्रमाण पत्र के अभाव में रोजगार के अवसरों से वंचित हैं, क्योंकि उनका प्रवेश और नियुक्ति संभव नहीं हो पा रही है।

कलेक्टर बोले- 15 दिन में समस्या का समाधान होगा
कलेक्टर संजय कुमार जैन ने स्वीकार किया कि यह मैपिंग त्रुटि है। उन्होंने कहा, “शासन को पत्राचार किया है, 15 दिन में समस्या का समाधान होगा। सभी प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं कि प्रमाण पत्र न होने पर भी बच्चों का प्रवेश न रोका जाए।”

कलेक्टर संजय कुमार जैन।