बड़ों ने छोटों के कान में कजलियां लगाकर आशीर्वाद दिया: मैहर के मंदिरों में अर्पित की कजलियां और एक-दूसरे को दी शुभकामनाएं – Maihar News

बड़ों ने छोटों के कान में कजलियां लगाकर आशीर्वाद दिया:  मैहर के मंदिरों में अर्पित की कजलियां और एक-दूसरे को दी शुभकामनाएं – Maihar News


कजलिया पर्व के चल समारोह शामिल हुए नगरवासी।

मैहर में रविवार को बघेलखण्ड और बुंदेलखंड की लोक परंपरा का प्रतीक कजलिया पर्व पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया। पर्व की शुरुआत मैहर राजघराने के महाराज अक्षय राज सिंह जू देव ने भगवान मदन मोहन मंदिर परिसर में बिहारी जू की पूजा-अर्चना के साथ की।

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कजलिया को घाट पर साफ करते श्रद्धालु।

इसके बाद कजलिया पर्व के चल समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। उन्होंने नगरवासियों को पर्व की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर ईश्वर से सामाजिक सौहार्द, सुख, शांति और समृद्धि की कामना की गई।

परंपरा के अनुसार श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर भगवान को कजलियां अर्पित कीं। साथ ही एक-दूसरे को भेंट कर शुभकामनाएं दीं। बड़ों ने छोटों के कान में कजलियां लगाकर आशीर्वाद दिया। बच्चों और बेटियों को शगुन के तौर पर रुपए भेंट किए।

मैहर राजघराने के महाराज ने किया पूजन।

मैहर राजघराने के महाराज ने किया पूजन।

ऐसे तैयार करते हैं कजलिया

कजलिया पर्व की तैयारी नाग पंचमी के अगले दिन से शुरू होती है। इस दिन खेत की मिट्टी को एक बर्तन में भरकर गेहूं के बीज बोए जाते हैं। रक्षा बंधन तक उनकी देखभाल की जाती है। पर्व के दिन उगे हुए कजलियों को तालाब या नदी के किनारे धोकर भगवान को अर्पित किया जाता है। फिर इन्हें आपस में बांटा जाता है।

यह नई फसल, सुख-समृद्धि और आपसी प्रेम-सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक दिनभर कजलिया पर्व की धूम रही। लोगों ने पुराने मतभेद भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाया।



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