आखिरकार साढ़े 5 महीने बाद निगम ने बड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि उसे कोई ठेकेदार नहीं मिला तो वह खुद ही बीआरटीएस हटाएगा। बीआरटीएस हटाने के लिए निगम ने आखिरी टेंडर जारी किया है। एक सप्ताह निगम इंतजार करेगा। कोई कंपनी काम करने के लिए राजी हो जाती है
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पिछली बार एक कंपनी ने रुचि तो दिखाई थी, लेकिन मात्र 1.5 करोड़ रुपए का मूल्यांकन किया था, जो स्वीकृत नहीं हुआ। इसी कारण एक बार फिर टेंडर जारी किया गया है। मालूम हो, कोर्ट के आदेश के बाद मार्च 2025 में बीआरटीएस तोड़ने का निर्णय हुआ था। सर्वे कर आकलन किया गया था कि निगम को स्क्रैप और अन्य सामग्री से कितनी आय होगी। आदेश के अगले ही दिन 11.5 किमी लंबे कॉरिडोर को सांकेतिक रूप से हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई। पहला काम श्यामाजी वाटिका से जीपीओ तक हुआ था।
- 11.5 किलोमीटर कुल लंबाई है
- 360 करोड़ रुपए की लागत से बना
- 01 बार बस लेन में कारों का प्रवेश कोर्ट आदेश पर हुआ था
- 12 साल पहले दायर जनहित याचिका
तीन बार टेंडर, शर्तों में ढील, फिर भी कोई तैयार नहीं बीआरटीएस की रैलिंग निगम के लिए सिरदर्द बन चुकी है। अप्रैल तक दो बार टेंडर निकाले, लेकिन कोई ठेकेदार नहीं आया। तीसरी बार जून में टेंडर निकाला गया। इतने प्रयास के बाद भी ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं हुए।
3 करोड़ से ज्यादा कमाएगा निगम का अनुमान है कि रैलिंग हटाने से करीब 3.37 करोड़ रुपए की आय होगी, जिस पर 17 लाख रुपए खर्च होंगे। एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर ने कहा, 7 दिन के लिए टेंडर आगे बढ़ाया है। पिछली बार 1.5 करोड़ रुपए ही ऑफर आया था।
भास्कर इनसाइट – 5 बड़े कारण, जिससे बीआरटीएस जनता के लिए मुसीबत बन गया
- बीआरटीएस पर आई बस चलाकर निजी वाहनों का लोड सड़कों से कम करना उद्देश्य था। 11.5 किमी के कॉरिडोर के दोनों तरफ एक भी पार्किंग स्टैंड नहीं बना। व्यक्ति घर से अपनी गाड़ी लेकर कॉरिडोर तक पहुंचे और पार्किंग में गाड़ी लगाए, यह योजना बनाई गई थी।
- बीआरटीएस की फीडर सड़कों से अन्य लोक परिवहन की कनेक्टिविटी भी ठीक से नहीं हो पाई।
- बीआरटीएस पर साइकिल ट्रैक बनाए गए थे, लेकिन वाहनों के बढ़ते लोड को देखते हुए इन्हें अधिकांश जगह से समाप्त कर मिक्स लेन को चौड़ा किया गया।
- 12 साल से ही बस लेन में बसें ट्रायल रन पर ही दौड़ रही हैं। इसका विधिवत उद्घाटन तक ही नहीं हुआ।
- दोनों तरफ 22 किमी लंबी अंडरग्राउंड बिजली लाइन डाली गई थी। गुणवत्ता इतनी खराब थी कि 2014 में पूरी 22 किमी की लाइन जलकर खाक हो गई।