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MP ka Dharohar: बुरहानपुर में मौजूद है 300 साल पुराना ब्रिटिश काल का लैंप, जो मिट्टी का तेल नहीं बल्कि पानी और कॉर्बेट से रोशनी फैलाता है. जानिए इस अनोखी खोज की कहानी और इसकी खासियत.
मोहन ढाकले/बुरहानपुर: हमने आज तक लैंप को मिट्टी के तेल से जलते देखा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा लैंप भी है जो पानी से रोशनी फैलाता है? जी हाँ, ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है, और ये अनोखा लैंप मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में आज भी मौजूद है.
इतिहासकार डॉ. वैद्य सुभाष माने के पास यह 300 साल पुराना ब्रिटिश काल का लैंप है. इसकी खासियत यह है कि इसे जलाने के लिए मिट्टी के तेल की जरूरत नहीं होती, बल्कि इसमें पानी और ‘कॉर्बेट’ का इस्तेमाल होता है. दोनों को मिलाने से गैस बनती है और यही गैस लैंप को रोशनी देती है.
बिजली से पहले का ‘स्पेशल लाइट’
डॉ. माने बताते हैं कि ब्रिटिश शासन के समय, जब बिजली नहीं थी, तब राजा-महाराजा और अंग्रेज अफसर इसी तरह के लैंप इस्तेमाल करते थे. यह लैंप उस जमाने में शाही रौशनी का प्रतीक माना जाता था.
आज भी पूरी तरह सही हालत में
लोहे से बना यह लैंप ऊपर से कांच के खूबसूरत ‘बॉल’ से ढका है. डॉ. माने ने इसे वर्षों से संभालकर रखा है. उनका कहना है कि “मुझे पुरानी चीज़ें इकट्ठा करने का शौक है, इसलिए मैं अपनी बचत से इन्हें खरीदकर संग्रह करता हूं, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इतिहास से जुड़ सके.”
देश-विदेश से आते हैं पर्यटक
इस लैंप को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक बुरहानपुर पहुंचते हैं. जो भी इसे पहली बार देखता है, उसके चेहरे पर हैरानी साफ झलकती है कि आखिर बिना मिट्टी के तेल के सिर्फ पानी और कॉर्बेट से कैसे रोशनी फैल सकती है.