40 साल पहले मलगांव (खंडवा, मध्य प्रदेश) का एक किसान खाली हाथ था, जेब में कुछ नहीं, खेत में साधन नहीं, और घर की आर्थिक हालत बेहद कमजोर. आज वही किसान देवराम जगन पटेल खेती और दूध उत्पादन से डबल इनकम का ऐसा मॉडल बना चुके हैं, जो आसपास के सैकड़ों किसानों के लिए मिसाल बन गया है.
सन् 1985 में देवराम पटेल के पास न तो खेती के लिए अच्छे औज़ार थे, न ही पर्याप्त ज़मीन. परिवार की हालत देखकर उन्होंने सोचा “कुछ तो करना होगा.” तभी उन्होंने गाय और भैंस पालकर दूध बेचने का काम शुरू किया. उस समय दूध के दाम सिर्फ 10 रुपये लीटर थे, लेकिन यह उनके लिए नई उम्मीद थी.
दूध बेचकर जो कमाई होती, उसे उन्होंने खेती के औजार और ज़मीन की देखभाल में लगाया. धीरे-धीरे उनकी खेती भी बेहतर होती गई और दूध उत्पादन भी बढ़ा. आज उनकी डेयरी से रोजाना 90–95 लीटर दूध निकलता है, जिसे वे स्थानीय बाज़ार में बेचते हैं और ग्राहकों तक पहुंचाते हैं.
देवराम पटेल मानते हैं कि सिर्फ पारंपरिक खेती पर निर्भर रहना आज के समय में रिस्क है. इसलिए उन्होंने खेती में जैविक तरीकों को अपनाया. वे गोबर, गोमूत्र और प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करते हैं. इससे फसल की गुणवत्ता बढ़ी और मिट्टी की सेहत भी सुधरी. गाय-भैंस का गोबर न सिर्फ खाद के रूप में, बल्कि बायोगैस बनाने में भी काम आता है.
मलगांव और आसपास के किसान अब उनसे सीखने आते हैं. वे बताते हैं कि सीमित साधनों से भी कैसे खेती और दूध उत्पादन साथ लेकर चलें तो आमदनी स्थिर रहती है चाहे मौसम खराब हो, फसल खराब हो या मंडी भाव गिर जाए.
देवराम का सपना है कि गांव में एक बड़ा डेयरी प्लांट बने, जहां आसपास के किसानों का दूध इकट्ठा कर बड़े बाज़ारों में बेचा जाए. वे मानते हैं कि खेती और डेयरी का संयुक्त मॉडल किसान को आत्मनिर्भर बनाता है और गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है.