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Agriculture Tips: हर साल की तरह इस बार भी डीएपी की मांग ज्यादा है. किसान डीएपी के पीछे भाग रहे हैं, जबकि सरकारी समितियों और गोदामों के वैकल्पिक खाद का भरपूर स्टॉक है. (रिपोर्ट: दीपक पांडे)
अभी खरीफ सीजन चल रहा है. खरगोन में किसान कपास, सोयाबीन, मक्का और मिर्च जैसी प्रमुख फसलों की खेती में जुटे हैं. इसी के साथ उर्वरकों की मांग भी तेजी से बढ़ गई है. हर साल की तरह इस बार भी डीएपी की मांग ज्यादा है. किसान डीएपी के पीछे भाग रहे हैं, जबकि सरकारी समितियों और गोदामों के वैकल्पिक खाद का भरपूर स्टॉक है.

वहीं, कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो डीएपी की तरह की सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) भी एक बेहतरीन वैकल्पिक खाद है. ये न सिर्फ फसलों को पर्याप्त पोषक तत्व उपलब्ध कराती है, बल्कि इसकी कीमत भी कम रहती है. साथ ही फसलों को सल्फर की मात्रा भी मिलती है, जो डीएपी ने नहीं होती. बावजूद किसान डीएपी के लिए परेशान होते है, घंटों तक लाइन में खड़े रहते हैं.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट एक फॉस्फेट युक्त उर्वरक है, जिसमें करीब 16% फास्फोरस होता है. इसके साथ, पोटास और यूरिया मिलाकर छिड़काव करने से यह फसलों की जड़ों को मजबूती देता है और पौधों की बढ़वार में मदद करता है.

साथ ही इसमें सल्फर भी होता है, जो पौधों के स्वाद, रंग और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. खासतौर पर कपास, सोयाबीन और मिर्च जैसी फसलों में इसका असर साफ नजर आता है. एसएसपी के लगातार उपयोग से खेत की मिट्टी की सेहत भी सुधरती है.

<br />डीएपी के ज्यादा उपयोग से जहां मिट्टी सख्त होती है, वहीं एसएसपी मिट्टी को भुरभुरा और उपजाऊ बनाए रखता है. डीएपी की एक बोरी करीब 1350 से 1500 रुपये में मिलती है.

वहीं, एसएसपी की एक बोरी लगभग 300 से 400 रुपये में उपलब्ध है. इसका मतलब है कि किसान को कम खर्च में अच्छी उपज मिल सकती है.

<br />डॉ. राजीव सिंह ने कहा कि, किसानों को केवल डीएपी के पीछे नहीं भागना चाहिए. अगर उन्हें एसएसपी मिलती है उसके साथ पोटाश और यूरिया को अलग-अलग चार भागों में बाटकर समय समय पर खेतों में छिड़काव करना चाहिए.

प्रति एकड़ के लिए किसान 200 किलो सिंगल सुपर फास्फेट, 25 किलो पोटास और 140-150 किलो यूरिया का डोज तैयार करें और चार भागों में छिड़काव करें.