सुप्रीम कोर्ट ने की 19 साल के अथर्व की तारीफ: जस्टिस बोले- मिस्टर चतुर्वेदी ये आपका दिन था, इससे पहले हाईकोर्ट भी दे चुका शाबाशी – Madhya Pradesh News

सुप्रीम कोर्ट ने की 19 साल के अथर्व की तारीफ:  जस्टिस बोले- मिस्टर चतुर्वेदी ये आपका दिन था, इससे पहले हाईकोर्ट भी दे चुका शाबाशी – Madhya Pradesh News


जबलपुर के 19 साल के अथर्व चतुर्वेदी की हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सराहना की है। दरअसल, अथर्व ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत एडमिशन देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। अथर्व ने याचिका में कहा कि प

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सुप्रीम कोर्ट में अथर्व ने अपने केस की खुद पैरवी की। 16 जुलाई को इस केस की आखिरी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अथर्व को कहा- मिस्टर चतुर्वेदी आपने दलीलें अच्छी दीं, मगर आपकी एडमिशन दिलाने की मांग जायज नहीं है। हम इसे खारिज करते हैं। ये भी कहा है कि वो अगले साल इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर करें।

बता दें कि अथर्व ने 2024 में इसी मुद्दे को लेकर एमपी हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट में भी उसे खुद ही केस की पैरवी की थी। तब भी सुनवाई करने वाली डबल बेंच ने उसे कहा था कि वह गलत फील्ड में जा रहा है। उसे डॉक्टर नहीं वकील बनना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में अथर्व ने अपने केस को लेकर किस तरह की दलीलें पेश कीं और कोर्ट ने उससे क्या कहा? इसे लेकर भास्कर ने अथर्व से बात की। पढ़िए रिपोर्ट

अथर्व ने खुद ही याचिका दायर की भास्कर से बातचीत में अथर्व ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाना एक सामान्य वकील के लिए भी थोड़ा मुश्किल होता है। मैं सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर गया। वहां एसएलपी का फॉर्मेट देखा। इसके आधार पर अपनी पिटिशन तैयार की। इसे बनाने के बाद पापा से अप्रूव कराया। पापा ने कुछ गलतियां सुधारने के लिए कहा।

रजिस्ट्री शाखा को भी इसमें कुछ गलतियां मिलीं। उन्हें सुधारने के बाद 6 जनवरी को मैंने ऑनलाइन एसएलपी दायर की। 31 जनवरी को मेरी एसएलपी सुनवाई के लिए लिस्ट हुई। मौजूदा सीजेआई और तत्कालीन जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस मसीह की बेंच ने इसकी सुनवाई की। उन्होंने मुझे कहा कि मुझे हाईकोर्ट में रिव्यू पिटिशन लगाना चाहिए।

मैं फिर एमपी हाईकोर्ट पहुंचा। यहां कोर्ट ने मेरी पिटिशन खारिज कर दी और कहा- आपकी याचिका को दोबारा सुनने जैसा नहीं है, क्योंकि 31 दिसंबर को नीट की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है और आप एक महीने बाद 31 जनवरी को रिव्यू पिटिशन दायर कर रहे हैं।

मई में दोबारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई अथर्व बताते हैं कि हाईकोर्ट से रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद मैंने मई में दोबारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस के के मिश्रा और जस्टिस मसीह की बेंच में इसकी सुनवाई के लिए 6 जून की तारीख तय हुई। मेरी याचिका का नंबर 44वां था।

कोर्टरूम पहुंचा तो नर्वस था अथर्व बताते हैं कि जब 30वें नंबर की याचिका की सुनवाई हो रही थी तब मुझे कोर्ट रूम में जाने की इजाजत मिली। मैं खुद को कोर्ट रूम के हिसाब से ढाल रहा था। मेरी तैयारी पूरी थी, लेकिन मैं दो बातों से थोड़ा नर्वस था। पहली ये कि सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी में दलीलें देनी थीं और दूसरी ये कि जस्टिस मिश्रा और जस्टिस मसीह बहुत जल्दी याचिकाओं का निपटारा कर रहे थे। कुछ लोगों की याचिकाएं तो 10-15 सेकेंड में ही रद्द कर दीं। कुछ की दलीलें आधे घंटे तक सुनीं। मेरा नंबर आखिरी था।

मेरी पिटिशन को रद्द करने की तैयारी थी अथर्व ने बताया कि कुछ देर बाद मेरी याचिका की सुनवाई का नंबर आया। मैं पिटीशनर वाली जगह पर पहुंचा। मैं कुछ बोलता उससे पहले ही कोर्ट ने पिटिशन काे गलत उदाहरण पेश करने वाली बताकर रद्द करना तय कर लिया था।

कोर्ट रूम में इस तरह हुई बहस….

अथर्व: माय लॉर्ड, मैं 44 नंबर के केस के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हूं। क्योंकि मैंने जो पिछली एसएलपी दायर की थी, वह…

जस्टिस मिश्रा: ( रोकते हुए) यह एसएलपी संक्रामक (infectious) है।

अथर्व: क्यों माय लॉर्ड?

जस्टिस मिश्रा: आपने पहले ही परीक्षा दी थी।

अथर्व: माय लॉर्ड, क्या मैं एक मिनट के लिए अपनी बात रख सकता हूं? मेरा EWS रैंक 134 था। मैं एक EWS उम्मीदवार हूं और मेरी रैंक 134 थी।

जस्टिस मिश्रा: उस समय EWS के लिए कोई सीट नहीं थी।

अथर्व: माय लॉर्ड, क्या मैं आपको जजमेंट दिखा सकता हूं? पिछले छह सालों से EWS आरक्षण प्राइवेट कॉलेजों में लागू नहीं हुआ है। मैं सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दे रहा हूं।

जस्टिस मिश्रा: क्या आपने परीक्षा से पहले इसके लिए आवेदन किया था?

अथर्व: मैंने आवेदन किया था, माय लॉर्ड।

जस्टिस मिश्रा: आवेदन का मतलब है कि क्या आपने परीक्षा से पहले रिट पिटिशन दायर की थी? आपने परीक्षा खत्म होने के बाद रिट पिटिशन दायर की है।

अथर्व: माय लॉर्ड, यह मेरी जिम्मेदारी नहीं थी कि मैं रिट दायर करता।

जस्टिस मिश्रा: नहीं, यह आपकी जिम्मेदारी थी। आप यह जानते हुए भी राहत की मांग कर रहे हैं कि EWS के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं थी। यह आपकी जिम्मेदारी थी।

अथर्व: माय लॉर्ड, मुझे कैसे पता चलता कि प्राइवेट कॉलेजों में EWS आरक्षण नहीं है?

जस्टिस मिश्रा: यह प्रॉस्पेक्ट्स में था।

अथर्व: नहीं, माय लॉर्ड। यह सिर्फ मध्य प्रदेश के गजट नोटिफिकेशन में लिखा था, जिसमें 2018 से सभी नियम शामिल थे। मुझे कैसे पता चलता कि ऐसा कोई प्रावधान है, जो कहता है कि EWS आरक्षण नहीं होगा? मैं ‘जनहित अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ का हवाला दे रहा हूं। यह एक संवैधानिक बेंच का फैसला था।

जस्टिस मिश्रा: हम काउंसलिंग शुरू होने के बाद सीटें नहीं दे सकते। सीटें पहले से ही भरी हुई हैं।

अथर्व: हाईकोर्ट ने EWS आरक्षण को लागू करने के लिए सीटों को बढ़ाने का आदेश दिया है।

जस्टिस मिश्रा: हम इस पर विचार नहीं करेंगे। याचिका को खारिज किया जाता है। हालांकि, याचिकाकर्ता को 2026 में होने वाली अगली NEET परीक्षा के लिए फिर से आवेदन करने की अनुमति दी जाती है।

अथर्व: माय लॉर्ड, यह सही नहीं है। EWS आरक्षण छह साल पहले लागू हो चुका है। मैं 103वें संशोधन का हवाला दे रहा हूं, जिसमें कहा गया है कि किसी भी EWS नागरिक के लिए विशेष प्रावधान, जिसमें प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में प्रवेश शामिल है, लागू होना चाहिए।

SC वकील बोले- नीट छोड़ो एलएलबी करो अथर्व बताता है कि मेरा आखिरी केस था। उसके बाद बेंच डिसमिस हो गई। मेरी दलीलें सुनने के बाद जस्टिस पीके मिश्रा ने मुझसे कहा कि तुम बहुत अच्छे तरीके से बहस करते हो। भविष्य में यदि करियर बदलना चाहो तो तुम्हारे पास ऑप्शन है। वहां मौजूद वकीलों ने भी मुझे मोटिवेट किया। कुछ ने कहा कि नीट छोड़ो एलएलबी करो तो कुछ बोले- तुम्हारी जैसी जिरह तो सीनियर वकील भी नहीं कर पाते।

पिताजी पहली बार सुप्रीम कोर्ट गए अथर्व के पिता मनोज चतुर्वेदी हाईकोर्ट के वकील है। अथर्व ने बताया कि पिता खुद एडवोकेट हैं मगर वो कभी सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हम दोनों पहली बार मेरे केस के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। ये मेरे लिए बड़ा गर्व का विषय था।

तीन जजों की बेंच ने केस खारिज किया अथर्व ने बताया कि 16 जुलाई को मेरे केस का अहम दिन था। इस दिन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई के सामने पेश होना था लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते वे नहीं आए। उनकी गैरमौजूदगी में डबल बेंच के सामने मैंने अपनी बात रखी। बेंच ने मेरी बात सुनी लेकिन नतीजा मेरे पक्ष में नहीं आया।

ईडब्ल्यूएस छात्रों के हक के लिए लडूंगा: अथर्व अथर्व का कहना है कि मैंने हार नहीं मानी, अब तक मैं खुद के लिए लड़ रहा था अब नीट के ईडब्ल्यूएस स्टूडेंट्स को मेडिकल कॉलेज में आरक्षण का हक दिलाने के लिए लडूंगा। इसके लिए हाइकोर्ट में याचिका लगा दी है क्योंकि 2024 में मेरे ही केस में कोर्ट ने राज्य सरकार को प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण का फायदा देने का आदेश दिया था। इस आदेश को अमल में लाने के लिए मैंने याचिका लगाई है। पहली सुनवाई में राज्य सरकार ने कुछ दिन का समय मांगा था। अब इस मामले की इसी अगस्त में सुनवाई है।

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जबलपुर के 19 साल के अथर्व चतुर्वेदी की वजह से अब प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का फायदा छात्रों को मिल सकेगा। एमपी हाईकोर्ट ने अथर्व की याचिका पर सुनवाई करते हुए 17 दिसंबर को अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस का कोटा देने के लिए सीटों की संख्या बढ़ाई जाए। पूरी खबर पढ़ें…



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