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कैश कांड मामले में लोकसभा में मंगलवार, 12 अगस्त को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी मिली। स्पीकर ओम बिरला ने कहा, ‘मुझे रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता समेत कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर से प्रस्ताव मिला है।’
दरअसल, 14 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश मिला था। मामले की जांच के लिए 3 जजों की कमेटी ने आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया। इसके चलते 8 मई को CJI ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को लेटर लिखकर महाभियोग प्रस्ताव की सिफारिश की थी।

जस्टिस वर्मा एक कानूनी परिवार से आते हैं। उनके पिता स्वर्गीय जस्टिस ए.एन. वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज थे। उनके चाचा स्वर्गीय एस.एन. वर्मा एक मशहूर वकील थे।

साल 2006 से लेकर अक्टूबर 2014 में एडिशनल जज बनने से पहले तक जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील रहते हुए कॉन्स्टिट्यूशनल, लेबर और इंडस्ट्रियल, कॉर्पोरेट लॉ और टैक्सेशन से जुड़े मामलों के मुकदमे लड़े। जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष अधिवक्ता थे। इस बीच उन्होंने 2012 से अगस्त 2013 तक चीफ स्टैंडिंग काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश यानी राज्य के मुख्य स्थायी अधिवक्ता का पद संभाला।
डेढ़ साल बाद बने परमानेंट जज
13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिनशल जज बनने के लगभग डेढ़ साल बाद 1 फरवरी 2016 को उन्होंने स्थायी जज के पद की शपथ ली। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ, टैक्सेशन, अर्बिट्रेशन और क्रिमिनल सहित कई मामलों में अध्यक्षता की।
दिल्ली हाईकोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज थे
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज बनने के 7 साल बाद 11 अक्तूबर, 2021 को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। वे चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज थे। अगर वे वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नहीं बनाए जाते तो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी बनते।
आवास पर बड़ी मात्रा में कैश मिला था
दरअसल, 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा (तब वे दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे) के दिल्ली स्थित आवास में आग लगी थी। दिल्ली फायर सर्विस (DSF) की टीम पहुंची और आग पर काबू पाया। आवास के स्टोर रूम में कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश मिला था।
वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा का दावा है कि स्टोर रूम में उन्होंने या उनके परिवार वालों ने कभी कैश नहीं रखा। उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है।
SC कॉलेजियम ने वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा
22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने प्रस्ताव के बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली से हटाकर वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया। हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने फैसले पर आपत्ति जताई है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए 3 जजों की कमेटी बनाई। साथ ही, यह फैसला लिया कि जस्टिस यशवंत वर्मा को कुछ समय तक कोई न्यायिक जिम्मेदारी न सौंपी जाए।
CJI ने लेटर लिखकर महाभियोग प्रस्ताव की सिफारिश की
3 मई को जांच कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपो को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया गया। इसके बाद 8 मई को CJI ने पीएम और राष्ट्रपति को लेटर लिखकर महाभियोग प्रस्ताव की सिफारिश की। फिर, आज यानी 12 अगस्त को लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
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