लव जिहाद, ड्रग्स तस्करी और अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त के आरोपों से घिरे भोपाल के मछली परिवार के रसूख के आगे नेता और अफसर दोनों ही नतमस्तक थे। इसका खुलासा इस बात से होता है कि हथाईखेड़ा डैम से मछली पकड़ने का ठेका जिस मछली पालन सहकारी समिति, इस्लाम न
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इसके बाद भी समिति 2023 तक यहां से मछली पकड़ती रही। हैरानी की बात ये है कि 2023 में एक बार फिर इसी ब्लैकलिस्टेड समिति को मछली पकड़ने का ठेका दे दिया गया। जाहिर है कि बिना नेताओं की मिलीभगत के ये संभव नहीं था। भास्कर ने जब फर्जी समिति के नाम पर ठेका लेने की इस पूरी प्रोसेस की पड़ताल की।
इसमें पता चला कि समिति में जिन सदस्यों के नाम दर्ज थे वो कभी मछली पकड़ने तालाब में उतरे ही नहीं। ठेके से मछली परिवार को हर साल 4 करोड़ की कमाई हो रही थी। इस तरह मछली परिवार ने 40 साल में मोटे तौर पर 160 करोड़ की कमाई की। पढ़िए रिपोर्ट
पहले जानिए कैसे चलता था मछली परिवार का कारोबार
40 साल से एक ही समिति को ठेका
हथाईखेड़ा डैम भोपाल जिला पंचायत के अधीन आता है। नियम के मुताबिक डैम से मछली पकड़ने का काम सहकारी समितियां कर सकती है। 24 नवंबर 1983 को मछली परिवार ने एक सहकारी समिति बनाई गई। इसका नाम रखा मछली पालन सहकारी संस्था मर्यादित- इस्लामनगर। हथाईखेड़ा बांध के पास रहने वाले 27 मछुआरों को समिति का सदस्य बताया गया।
इस समिति को हथाईखेड़ा बांध में मछली पालन, पकड़ने का दस साल का ठेका मिला। इसके बाद हर दस साल बाद यानी 1993 से 2003, फिर 2003 से 2013 और 2013 से 2023 तक इसी समिति को ठेका मिलता गया।

मछली पालन सहकारी संस्था के नाम पर ‘मछली परिवार’ हर साल ठेका लेता रहा।
नाम समिति का, काम करता था नीलू मियां मछली परिवार के इस अवैध कारोबार को सामने लाने वाले प्रमोद लोधी बताते हैं कि कहने को मछली पकड़ने का ठेका मछली पालन समिति इस्लामनगर को मिलता था, लेकिन वास्तव में यहां का पूरा काम मछली परिवार का खासमखास जलील नीलू या नीलू मियां संभालता था।
प्रमोद लोधी ने बताया कि मछली परिवार का नाम किसी भी सरकारी कागज में नहीं मिलेगा, मगर मछली पकड़ने का जो मुनाफा है वो इसी परिवार के पास जाता था। नीलू मियां और मछली परिवार के बीच एग्रीमेंट होता था कि मछली पकड़ने का ठेका समिति को दिलाने के बदले एक निश्चित कमाई उसे मछली परिवार तक पहुंचानी पड़ेगी।
नीलू मियां बंगाल और चेन्नई से मछली पकड़ने वाले मछुआरों को बुलाता था। उनके लिए यहां कमरे बनाए गए थे। दिनभर वह मछली पकड़ते। यहां से मछलियां मार्केट में जाती थी। मछली आढ़तिए के तौर पर मछली परिवार ही इनका सौदा करता था।

हथाईखेड़ा डैम के पास ये वो कमरे हैं, जहां नीलू मियां चेन्नई और बंगाल से मछुआरों को लाता था।
2019 में शिकायत के बाद पहली बार जांच
मछली परिवार की इस धांधली की शिकायत 2019 में पहली बार कलेक्टर को की गई। शिकायतकर्ता प्रमोद लोधी बताते हैं कि मैंने ऑडिट रिपोर्ट और समिति की बैठकों की जानकारी आरटीआई के जरिए निकाली तो उसे देखकर मैं हैरान रह गया। इन बैठकों में समिति के उपाध्यक्ष मलथूराम की उपस्थिति दिखाई गई थी।
जबकि, 14 अगस्त 2019 को मलथूराम की मौत हो चुकी थी। 15 अगस्त 2019 को मैं खुद उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था। लोधी के मुताबिक डैम से मछली पकड़ने और इन्हें बेचने के बाद जो लाभांश होता है वो समिति के सदस्यों में बांटा जाता है।
यदि समिति के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाए तो नियम के मुताबिक उसकी जानकारी संबंधित विभाग को देना होती है। उस व्यक्ति की जगह उसके परिवार के किसी सदस्य को समिति में जगह दी जाती है।

कलेक्टर ने रिपोर्ट में लिखा- समिति फर्जी है इस शिकायत के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच की। 5 जनवरी 2023 को कलेक्टर कार्यालय से एक आदेश( क्रमांक/467 / मत्स्य/2020-21) निकला जिसमें 1 दिसंबर 2020 की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया कि 2020 में गठित जांच दल की रिपोर्ट में यह पाया गया कि संस्था का संचालन समिति के बजाय एक अकेला व्यक्ति कर रहा था।
जलील मोहम्मद खान उर्फ नीलू मियां गैरकानूनी तरीके से ठेका लेकर सरकार की मत्स्य पालन संबंधी योजनाओं का फायदा ले रहे थे। जांच के दौरान तालाब में मछली पकड़ने के संचालन में किसी भी सदस्य का होना नहीं पाया गया है। इस रिपोर्ट के आधार कलेक्टर ने आदेश दिया जिसमें दो पॉइंट अहम थे
- सहकारिता विभाग संस्था का पूरा रिकार्ड जब्त कर सहकारिता अधिनियम के .अनुसार संस्था का पंजीयन समाप्त कर संबंधित व्यक्ति पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए ।
- जनपद पंचायत फंदा/मछली पालन विभाग भोपाल, मछुआ नीति 2008 में दिये गये निर्देशों का पालन करते हुए चंदेरी जलाशय को पट्टे पर देने की कार्यवाही तत्काल की जाए।

जिला पंचायत की कृषि स्थायी समिति की बैठक में उठा मुद्दा जिला पंचायत की सदस्य रश्मि अवनीश भार्गव ने कृषि स्थायी समिति की बैठक में हथाईखेड़ा तालाब का ठेका निरस्त ना करने का मुद्दा उठाया, इसके बाद भी ठेका अभी तक निरस्त नहीं हुआ है। इस मसले पर मछली पालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समिति के गठन के बाद उनका काम शुरू होता है।
सहकारिता विभाग और मत्स्य पालन विभाग की संयुक्त टीम जांच करेगी तब पता चलेगा कि समिति के नाम पर कौन तालाब में मछली पकड़ रहा है।

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