Omkareshwar Jyotirlinga: इस मंदिर में शिव-पार्वती खेलते हैं चौपड़! यहां हर पत्थर बोलता है `ॐ` ;ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े ये खास रहस्य नहीं जानते होंगे आप

Omkareshwar Jyotirlinga: इस मंदिर में शिव-पार्वती खेलते हैं चौपड़! यहां हर पत्थर बोलता है `ॐ` ;ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े ये खास रहस्य नहीं जानते होंगे आप


Last Updated:

Omkareshwar Jyotirlinga: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर धार्मिक मान्यता है कि बाबा महाकाल दिनभर अखिल ब्रह्मांड में विचरण करते हैं. वे रात्रि विश्राम ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग धाम में ही करते हैं.

Omkareshwar Jyotirlinga: भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ‘ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग’ मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे मंधाता पर्वत पर स्थित है. यह स्थल सिर्फ एक धार्मिक धरोहर नहीं. बल्कि आध्यात्मिक आस्था और पौराणिक महत्व का प्रतीक भी है. ओंकारेश्वर का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है “ओंकार” जो ईश्वर का प्रतीक है और “ईश्वर” जो भगवान शिव को दर्शाता है. यह मंदिर नर्मदा और कावेरी नदी के संगम पर स्थित है. नदी इस स्थल को ऐसे घेरे रहती है कि यह द्वीप ‘ॐ’ के आकार का प्रतीत होता है. यही इसकी सबसे खास बातों में से एक है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान का नाम राजा मांधाता से जुड़ा है. जो सूर्यवंशी राजा थे और अयोध्या के प्रसिद्ध राजा दिलीप के वंशज थे. कहा जाता है कि मांधाता ने अपने राज्य को धर्म और सेवा से पवित्र किया. लेकिन आत्मिक मुक्ति की तलाश में वे इस स्थान पर आकर कठोर तप करने लगे. उन्होंने वर्षों तक भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान शिव इस पर्वत पर ज्योति के रूप में प्रकट हुए और वरदान स्वरूप यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए. तभी से इसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में स्थान
शिव पुराण और अन्य शास्त्रों में ओंकारेश्वर को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल किया गया है. इन ज्योतिर्लिंगों को शिव के सबसे पवित्र रूपों में गिना जाता है और हर एक स्थल का पौराणिक इतिहास अलग है. ओंकारेश्वर की विशेषता यह है कि यहां दो मुख्य शिवलिंग पूजे जाते हैं-ओंकारेश्वर और ममलेश्वर (अमलेश्वर) एक पर्वत पर और एक नीचे.

इस मंदिर में रात बिताते हैं शिव-पार्वती
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर धार्मिक मान्यता है कि बाबा महाकाल दिनभर अखिल ब्रह्मांड में विचरण करते हैं. वे रात्रि विश्राम ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग धाम में ही करते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती रात्रि के समय इस मंदिर में आते हैं और चौपड़ खेलते हैं. बरसों से यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है. ओंकारेश्वर धाम में प्राचीन समय से ही परम्परानुसार त्रिकाल पूजाएं होती है.

ऐसा है मंदिर का स्वरूप
मंदिर की वास्तुकला प्राचीन हिंदू शैली में निर्मित है. जिसमें पत्थरों पर की गई नक्काशी अत्यंत आकर्षक है. श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान कर मंदिर की परिक्रमा करते हैं. नर्मदा परिक्रमा और ओंकार पर्वत की परिक्रमा करना यहां की परंपरा का हिस्सा है. यहां महाशिवरात्रि, श्रावण मास, नवरात्रि जैसे पर्वों पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. पूरे मंदिर परिसर में घंटियों की ध्वनि, मंत्रों की गूंज और भक्तों की आस्था का माहौल हर किसी को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है.

कैसे पहुँचे ओंकारेश्वर
इंदौर से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है. इंदौर एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से यहां बस या टैक्सी के माध्यम से पहुँचा जा सकता है. नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन खंडवा है. जो सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

इस मंदिर में शिव-पार्वती खेलते हैं चौपड़! यहां हर पत्थर बोलता है `ॐ`



Source link