स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त को सागर केंद्रीय जेल से 14 बंदियों को रिहा किया जाएगा। इन बंदियों में 13 पुरुष और एक महिला शामिल हैं, जो विभिन्न आपराधिक मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।
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राज्य शासन के आदेश के तहत यह रिहाई मध्यप्रदेश शासन के जेल विभाग द्वारा 27 मई 2025 को लागू की गई विशेष माफी नीति के अंतर्गत की जा रही है। इस नीति के अंतर्गत दुष्कर्म, पॉक्सो और अन्य गंभीर अपराधों से जुड़े मामलों में सजा काट रहे बंदियों को रियायत नहीं दी जाती।
जेल में दिए गए प्रशिक्षण से होगा पुनर्वास
जेल अधीक्षक मानेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि जेल में रहते हुए इन बंदियों को पुनर्वास के उद्देश्य से टेलरिंग, कारपेंटरी, लोहारी, भवन निर्माण, मिस्त्री कार्य और निर्माण सामग्री निर्माण जैसे कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रशिक्षण बंदियों को जेल से रिहा होने के बाद आत्मनिर्भर बनने और समाज की मुख्यधारा में लौटने में मदद करेगा।
उन्होंने बताया कि रिहा होने वाले बंदियों से दोबारा अपराध न करने की अपील की गई है और उन्हें समझाया गया है कि वे अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालें और एक सम्मानजनक जीवन जीएं।
इन बंदियों को किया जाएगा रिहा
जिन 14 बंदियों को रिहाई दी जा रही है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
अर्जुन पिता भागीरथ कुर्मी, रामनाथ पिता राजाराम यादव, गुटरू उर्फ दिलीप पिता घनश्याम अहिरवार, गोपीलाल पिता रतन सिंह, हाले पिता गोपाल, हल्के उर्फ भगत पिता रामसिंह दांगी, डग्गीराज पिता प्रीतम सिंह बुंदेला, नरेंद्र पुत्र नाथू अहिरवार, राजेश पिता जगदीश विश्वकर्मा, हरिराम पिता लक्ष्मण साहू, गुड्डू उर्फ अमृत पिता लक्ष्मण साहू, कोमल पिता हरप्रसाद साहू, मुन्ना पिता लक्ष्मण साहू और महिला बंदी हसीना पत्नी मजीद खां।
अब साल में पांच अवसरों पर होती है रिहाई
मध्यप्रदेश शासन द्वारा आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई नीति में संशोधन किया गया है। पहले गणतंत्र दिवस, अंबेडकर जयंती, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती पर बंदियों की रिहाई होती थी। अब 15 नवंबर को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस को भी इस सूची में शामिल कर लिया गया है। इस प्रकार अब साल में पांच विशेष अवसरों पर पात्रतानुसार बंदियों की रिहाई की जा सकेगी।