सीहोर जिले के किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के खिलाफ अनोखा विरोध किया। किसानों का कहना है कि सरकार ने तो मध्यप्रदेश के किसानों के खातों में करीब 1,383 करोड़ रुपये बीमा राशि भेजी है, लेकिन सीहोर के किसानों को इसके नाम पर सिर्फ झुनझुना थमा दिय
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1000 से 1100 मिला मुआवजा रामाखेड़ी, छापरी, चंदेरी, कुलास सेवनिया और संग्रामपुर जैसे कई गांवों के किसानों ने आरोप लगाया कि बीते 5 सालों से सोयाबीन की फसल लगातार प्राकृतिक आपदा से खराब हो रही है। बैंक हर साल किसानों के खाते से बीमा प्रीमियम काटता है, लेकिन जब नुकसान होता है, तो उन्हें मुआवजा नहीं मिलता। कई किसानों को तो सिर्फ 1,000 या 1,100 रुपए ही मिले, जिसे किसानों ने ऊंट के मुंह में जीरा बताया।
आंदोलन की दी चेतावनी किसानों और समाजसेवियों का कहना है कि कृषि विभाग, बैंक और बीमा कंपनी कोई भी साफ जवाब नहीं देती। सरकार गांव-गांव जाकर बीमा कराने का प्रचार तो करती है, लेकिन जब असली मदद की जरूरत होती है, तो किसानों को बीमा राशि की जगह सिर्फ नाम मात्र का पैसा दिया जाता है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही बीमा का असली लाभ नहीं मिला, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
बीमा प्रीमियम हर साल काट रहीं कंपनियां किसानों ने यह भी याद दिलाया कि पिछले साल अधिक बारिश और कलास नदी में बाढ़ से फसलें तबाह हो गई थीं। तब उन्होंने नदी में जल सत्याग्रह किया था, जिसके बाद प्रशासन ने राहत राशि तो दी, लेकिन बीमा का पैसा अब तक नहीं मिला। किसानों का कहना है कि अगर सरकार उन्हें बीमा का फायदा नहीं दे सकती, तो प्रीमियम कटौती भी बंद होनी चाहिए। इस पूरे खेल से बीमा कंपनियों को फायदा और किसानों को नुकसान हो रहा है।