राजधानी में एक निजी कंपनी में काम करने वाले 25 वर्षीय ग्राफिक डिजाइनर कपिल चौरसिया का गुरुवार को हृदय गति रुकने (कार्डियक फेलियर) से निधन हो गया। सहकर्मियों के अनुसार, कपिल अचानक कार्यस्थल पर बेहोश होकर गिर पड़े।
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मौके पर उनके टीम लीडर यश पाल और अन्य ऑफिस के साथियों ने उन्हें तत्काल निजी अस्पताल ले जाया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि वे इतने गंभीर स्वास्थ्य मामले का उपचार करने में सक्षम नहीं हैं। इसके बाद सहकर्मी उन्हें सीधे तुलसी नगर स्थित जेपी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
यह स्थिति सिर्फ कपिल चौरसिया की नहीं है, बल्कि युवाओं में तेजी से हार्ट फेलियर की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके पीछे खराब खानपान, शारीरिक गतिविधि की कमी, धूम्रपान और तनाव दिल की बीमारियों के मुख्य कारण हैं। मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल भी दिल की बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा जेनेटिक कारणों से भी दिल की बीमारी का खतरा रहता है।
जेपी अस्पताल के डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इसका मुख्य कारण वायरस के संक्रमण से एंडोथेलियम (रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी परत) का कमजोर हो जाना है। जब एंडोथेलियम कमजोर हो जाता है, तो यह रक्त प्रवाह को सही ढंग से नियंत्रित नहीं कर पाता, जिसके परिणामस्वरूप अचानक क्लॉट (रक्त का थक्का) बनने लगता है और हार्ट अटैक या अन्य हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
हार्ट अटैक की समस्या पुरुषों में ज्यादा नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार हार्ट अटैक की समस्या पुरुषों में ज्यादा होती है। लेकिन ऐसी महिलाएं जिनमें ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की अनुवांशिक बीमारी का इतिहास रहा हो या साइको सोशल डिस्ट्रेस ज्यादा हो, वे ज्यादा रिस्क में रहती हैं। वहीं, अल्कोहल और स्मोकिंग करने वाले पुरुषों में ज्यादा रिस्क होता है।
भागदौड़ भरी जिंदगी से होने वाला तनाव, अनियमित खानपान, नशा और अपर्याप्त नींद यह सब हृदय से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। इन सभी कारणों से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है, जो नसों में प्लाक बनाती है। इससे हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ता है।