NEET में पास होने के बाद छात्रों की पहली पसंद बने ये कॉलेज, जानिए क्या है कारण

NEET में पास होने के बाद छात्रों की पहली पसंद बने ये कॉलेज, जानिए क्या है कारण


NEET Counselling: मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) द्वारा कराई गई राउंड 1 काउंसलिंग के परिणामों से यह साफ़ हो गया है कि कम फीस वाले डीम्ड यूनिवर्सिटी कॉलेज, भले ही वे नए क्यों न हों, मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रों की पहली पसंद बन रहे हैं. नीट की मेरिट लिस्ट और 15% ऑल इंडिया कोटे के तहत, केंद्र सरकार के संस्थानों, सरकारी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में सीटें ऑनलाइन प्रक्रिया के ज़रिए दी जाती हैं. उम्मीदवारों को अपने पसंदीदा कॉलेजों को वरीयता के आधार पर चुनकर ‘लॉक’ करना होता है.

2025 की कट-ऑफ और रैंक की स्थिति

नीट 2025 में सीट पाने की न्यूनतम कट-ऑफ 215 अंक (720 में से) रही, जो लगभग 7.3 लाख रैंक के आसपास थी. जबकि वर्ष 2024 में यह कट-ऑफ 135 अंक (13.3 लाख रैंक) पर थी. NEET कोच आर. सरवणकुमार के अनुसार टॉपर्स के मार्क्स तो कम थे, लेकिन 400 से 500 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या बहुत ज़्यादा थी, जिससे उस रेंज में भारी प्रतिस्पर्धा रही है.

मणिपाल का कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज सबसे आगे

पूरे देश में डीम्ड विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में से सबसे पहले सीटें भरने वाला कॉलेज रहा कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल (Manipal University). इस कॉलेज की सालाना फीस लगभग 17.7 लाख रुपये है. इसकी आखिरी सीट NEET रैंक 40008 और 511 अंकों पर बंद हुई.

अन्य पसंदीदा कॉलेज

सिम्बायोसिस मेडिकल कॉलेज फॉर विमेन, पुणे – रैंक 47592 और स्कोर 504
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मैंगलोर – रैंक 52466 और स्कोर 500
तमिलनाडु के महंगे कॉलेज छात्रों की लिस्ट से बाहर

तमिलनाडु के कई डीम्ड यूनिवर्सिटी कॉलेज, जिनकी फीस करीब 30.5 लाख रुपये प्रति वर्ष है, टॉप 20 में जगह नहीं बना पाए. इसके बजाय कर्नाटक और महाराष्ट्र के कॉलेजों को छात्रों ने प्राथमिकता दी. एक उदाहरण के तौर पर श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज, चेन्नई में 263126 रैंक और 374 अंक वाले छात्र को आखिरी सीट मिली है.

महंगी फीस बन रही छात्रों की चिंता का कारण

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार स्टूडेंट्स गाइड मणिकावेल अरुमुगम का कहना है कि अगर सालाना ट्यूशन फीस 30 लाख रुपये है, तो MBBS की चार साल की पढ़ाई में 1.2 करोड़ रुपये सिर्फ ट्यूशन पर खर्च होते हैं. इसके अलावा हॉस्टल, किताबें और अन्य खर्चों पर 10–15 लाख रुपये और लग जाते हैं.

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